Swastik Symbol: हिन्दू धर्म में स्वास्तिक चिन्ह का विशेष महत्व है। शास्त्रों के अनुसार स्वास्तिक के चिन्ह को विष्णु भगवान का आसन और मां लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है। इसलिए किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले उस स्थान पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाया जाता है। यही कारण भी है कि, स्वास्तिक बनाने के बाद उसकी पूजा भी की जाती है। बता दें, कि स्वास्तिक का अर्थ होता है अच्छा या मंगल करने वाला। आइए जानते हैं इसे बनाने का तरीका और इसका महत्व।
स्वास्तिक चिन्ह का महत्व
स्वास्तिक चिन्ह को हिन्दू धर्म में बहुत शुभ माना जाता है, क्योंकि स्वास्तिक का चिन्ह चारों दिशाओं से मंगल को आकर्षित करता है। स्वास्तिक को वास्तु शास्त्र में भी नकारात्मक ऊर्जा को घर से दूर करने वाला चिन्ह बताया गया है। कथा के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि, प्राचीन काल में ऋषियों ने अपने धर्म के आध्यात्मिक अनुभवों के आधार पर इस चिन्ह को बनाया था। स्वास्तिक के चिन्ह को बनाने से कई लाभ होते है। स्वास्तिक का चिन्ह घर में बनाने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं, जिससे धन- धान्य में वृद्धि होती है। साथ ही परिवार में सुख- समृद्धि बनी रहती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।
स्वास्तिक बनाने का सही तरीका
स्वास्तिक बनाते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। लेकिन ज्यादातर लोग स्वास्तिक को क्रॉस करके बनाते है। सबसे पहले प्लस का साइन बनाते हैं और फिर स्वास्तिक की अन्य भुजाएं। हालाकि इस तरीके से बनाए गए स्वास्तिक को शुभ नहीं माना जाता। जान लें इसका सही तरीका क्या है। इसे बनाने के लिए हमेशा पहले दाएं का भाग बनाना चाहिए फिर बाएं। इस तरह बने स्वास्तिक को ही शुभ माना जाता है। शास्त्रों में कुमकुम और चंदन से बनाया गया स्वास्तिक को सर्वश्रेष्ठ माना गया है।