(रुचि राजपूत)
Duryodhan Ne Arjun Ko 3 Teer Kyon Diye : महाभारत ग्रंथ हमारे जीवन में कई अहम शिक्षा देता है। महाभारत में कई ऐसे किस्सों के बारे में बताया गया है जिसके बारे में शायद हमें जानकारी नहीं है। यह किस्से किसी बड़े रहस्य से कम नहीं हैं। ऐसा ही एक किस्सा है दुर्योधन और अर्जुन से जुड़ा है। इस किस्से के बारे में हरदा के पंडित एवं ज्योतिषी धर्मेंद्र दुबे ने विस्तार से बताया है। कहा जाता है कि एक बार अर्जुन ने दुर्योधन की जान बचाई थी जिसके बदले में अर्जुन को कुछ मांगने के लिए कहा गया था। जब अर्जुन ने दुर्योधन से तीन तीर मांगे थे। आइए जानते हैं उन तीन तीरों का महत्व।
जानें पौराणिक कथा
धर्मेंद्र दुबे के अनुसार, जब पांडव वनवास में थे उन्होंने एक यज्ञ का आयोजन किया। दुर्योधन भी यज्ञ को प्रभावित करने के उद्देश्य से वहां पहुंच गया था। यज्ञ के दौरान दुर्योधन अपनी कुटिल चाल से उसे प्रभावित करने लगा। जिस कारण से कई समस्याएं आने लगीं। पांडवों को यह समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर यज्ञ में विध्न क्यों हो रहे हैं।
यज्ञ में आ रही समस्याओं को रोकने के लिए अर्जुन ने इंद्र देव की प्रार्थना की। इसके बाद इंद्र की देखरेख में यह यज्ञ फिर से आरंभ हुआ। इंद्र देव को जैसे ही पता चला कि इस यज्ञ को दुर्योधन प्रभावित कर रहा है तो उन्होंने कुछ गंधर्वों को भेजा। दुर्योधन और गंधर्व के बीच युद्ध हुआ। बाद में गंधर्व, दुर्योधन को रस्सी से बांधकर स्वर्ग लोक ले गए।
अर्जुन ने बचाई जान
जैसे ही अर्जुन को पता चला, वह दुर्योधन को बचाने के लिए वहां पहुंच गए। उन्होंने कहा कि यह यज्ञ में मेरे अतिथि बनकर आए हैं ऐसे में इनके जीवन की रक्षा हमारा कर्तव्य है। दुर्योधन की जान बचाने के बदले में अर्जुन ने दुर्योधन से वरदान मांगा था। यह वरदान तीन तीरों का था। दुर्योधन ने यह तीन तीर अर्जुन को वरदान स्वरूप दे दिए। अर्जुन ने दुर्योधन से कहा था कि यह तीन तीर तीन बड़े योद्धाओं के लिए है। अगर कौरव और पांडव का युद्ध हुआ तो इन तीरों का उपयोग तभी किया जाएगा। यह सुनकर दुर्योधन हैरान हो गया।