क्यों शुभ कार्य से पहले बनाते हैं स्वास्तिक, जानें क्या कहता है वास्तु शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र

(रुचि राजपूत)
Significance of Swastika : हिन्दू धर्म में हर शुभ कार्य करने से पहले स्वास्तिक चिन्ह बनाया जाता है। अक्सर हमने लोगों के घर के बहार, पूजा स्थलों या मंदिरों में स्वास्तिक बना हुआ देखा है। लेकिन क्या आप इसके पीछे की वजह जानते हैं कि क्यों हिन्दू धर्म के लोग हर शुभ काम से पहले स्वास्तिक बनाते हैं? अगर आपको नहीं पता तो चलिए जानते हैं प्रसिद्ध ज्योतिषी एवं पंडित धर्मेंद्र दुबे से इसके पीछे की वजह।
स्वास्तिक का अर्थ
स्वास्तिक तीन शब्दों से मिलकर बना है जिसका अर्थ 'सु' का मतलब शुभ, 'अस'- का मतलब अस्तित्व, और 'क' का मतलब कर्ता होता है। जिस प्रकार से भगवान गणेश प्रथम पूज्य होते हैं। उसी प्रकार हिन्दू धर्म के लोग कोई भी शुभ काम से पहले स्वास्तिक बनाते हैं। स्वास्तिक का अर्थ मंगल करने वाला होता है। स्वास्तिक को भगवान गणेश का प्रतीक भी माना जाता है, स्वास्तिक में बनी चार रेखाएं चार दिशाओं पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण को दर्शाती हैं अन्य मान्यता के अनुसार ये रेखाएं चारों वेदों का प्रतीक हैं।
वास्तु शास्त्र के अनुसार
वास्तु दोष ठीक करने के लिए स्वास्तिक बनाया जाता है, क्योंकि इसकी चार रेखाएं चारों दिशाओं को दर्शाती हैं। घर के हर तरह के वास्तु दोष को दूर करने के लिए घर के मुख्यद्वार पर स्वास्तिक बनाना शुभ होता है।
ज्योतिष के अनुसार
ज्योतिष के अनुसार व्यापार में घाटा होने पर अपनी दूकान के ईशान कोण में लगातार 7 गुरूवार सूखी हल्दी से स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं फायदा होगा। इसके अलावा आप किसी कार्य में सफलता चाहते हैं, तो घर के उत्तर दिशा में सूखी हल्दी से स्वास्तिक बनाएं। काले रंग का स्वास्तिक बनाने से घर को बुरी नजर से बचाया जा सकता है। मान्यता है कि काले रंग के कोयले से बने स्वास्तिक से नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं।
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