Sunil Gavaskar on Sarfaraz khan: पूर्व भारतीय सलामी बैटर सुनील गावस्कर ने भारतीय क्रिकेट में खिलाड़ियों की फिटनेस को लेकर जुनून की आलोचना की और दावा किया कि सरफराज खान जैसे खिलाड़ी अक्सर इसका शिकार होते हैं। घरेलू सर्किट में मुंबई के लिए रन मशीन होने के बावजूद, सरफराज को हमेशा भारतीय टेस्ट टीम के चयन के मामले में नजरअंदाज किया जाता रहा। ये सिलसिला इस साल इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में जाकर खत्म हुआ, जब सरफराज ने इंटरनेशनल मंच पर अपना लोहा मनवाया। 

सरफराज ने न्यूजीलैंड के खिलाफ बेंगलुरु टेस्ट की दूसरी पारी में 150 रन की पारी खेल भारत की मैच में वापसी कराई थी। गावस्कर ने एक अखबार के कॉलम में दावा किया कि सरफराज को पहले टीम में जगह नहीं मिली क्योंकि चयनकर्ताओं के अनुसार उनकी कमर पतली नहीं थी।

गावस्कर ने अपने कॉलम में लिखा,"घरेलू क्रिकेट में सैकड़ों रन बनाने के बावजूद सरफराज खान को पिछले कुछ सालों से भारतीय टीम में जगह नहीं मिल पा रही है। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि निर्णय लेने वाले लोगों का मानना ​​था कि उनके पास अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के लिए ज़रूरी पतली कमर नहीं। सरफराज ने बल्ले से मैदान पर जो प्रदर्शन किया, वह उनकी कमर से भी ज़्यादा शानदार था। दुख की बात है कि भारतीय क्रिकेट में ऐसे कई निर्णयकर्ता हैं जिनके विचार समझ पाना मुश्किल है।"

गावस्कर ने यह भी बताया कि पंत की कमर पतली नहीं है, लेकिन वो टीम इंडिया के लिए इम्पैक्ट प्लेयर हैं। क्रिकेट के दिग्गज ने योयो-योयो टेस्ट को खत्म करने की मांग की और चाहते हैं कि खिलाड़ियों का मानसिक रूप से मूल्यांकन किया जाए। 

गावस्कर ने आगे कहा, "ऋषभ पंत एक और खिलाड़ी हैं, जिनकी कमर पतली नहीं है, जैसा कि ये फिटनेस विशेषज्ञ चाहते हैं, लेकिन वे एक प्रभावशाली खिलाड़ी हैं। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि वे पूरे दिन विकेटकीपिंग भी करते हैं, जिसके लिए न केवल लगभग छह घंटे तक उठना-बैठना पड़ता है, बल्कि थ्रो को पकड़ने के लिए स्टंप तक दौड़ना भी पड़ता है। इसलिए, यो-योयो टेस्ट को खत्म करें और इसके बजाय यह आकलन करें कि कोई खिलाड़ी मानसिक रूप से कितना मजबूत है। यह किसी खिलाड़ी की फिटनेस का सही संकेतक होगा। अगर कोई खिलाड़ी पूरे दिन बल्लेबाजी कर सकता है या एक दिन में 20 ओवर गेंदबाजी कर सकता है, तो वह मैच के लिए फिट है, भले ही उसकी कमर कितनी भी पतली हो या न हो।"