Sunil Gavaskar on border gavaskar trophy: भारतीय टीम का क्रिकेट सीजन 43 दिन के गैप के बाद 19 सितंबर से दोबारा शुरू होगा। भारत अपने घर में बांग्लादेश की मेजबानी करेगा और दोनों देशों के बीच 2 टेस्ट की सीरीज खेली जाएगी। इसके बाद भारत की टक्कर घरेलू टेस्ट सीरीज में न्यूजीलैंड से होगी। हालांकि, भारतीय क्रिकेट फैंस और क्रिकेट पंडितों को इंतजार इस साल के आखिर में भारत के ऑस्ट्रेलिया दौरे का है। भारत की नजर जीत की हैट्रिक पर होगी। एक ऐसी उपलब्धि जो पहले हासिल नहीं हुई है। जबकि ऑस्ट्रेलिया टीम 2017 के बाद पहली बार बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी हासिल करना चाहेगा।
1992 के बाद पहली बार ऐसा होगा जब भारत अपने ऑस्ट्रेलिय़ा दौरे पर पर 5 टेस्ट की सीरीज खेलेगा। इस दौरे के लिए भारत को अपने सबसे कठिन टेस्ट दौरे पर जाने से पहले कड़ी प्रैक्टिस करनी होगी। लेकिन हमेशा की तरह, भारत के लिए यह जोखिम भरा हो सकता है क्योंकि भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिय़ा दौरे पर प्रधानमंत्री इलेवन के खिलाफ प्रैक्टिस मैच खेलेगी। इसी वजह से सुनील गावस्कर ने बीसीसीआई की तैयारी पर सवाल उठाए हैं।
गावस्कर ने की बीसीसीआई से अपील
गावस्कर ने मिड-डे के कॉलम में लिखा, "ऑस्ट्रेलियाई प्राइम मिनिस्टर-11 के खिलाफ दौरा करने वाली टीमों के नियमित मैच को घटाकर 2 दिवसीय कर दिया गया है, यह खबर निराशाजनक है। हर तरह से, सीनियर खिलाड़ियों को आराम दिया जाना चाहिए और उन्हें मैच के लिए कैनबरा भी नहीं जाना चाहिए, लेकिन नए युवा खिलाड़ियों को 2 दिवसीय मैच के बजाय एक प्रथम श्रेणी मैच दिया जाना चाहिए, जो न तो यहां होगा और न ही वहां। आखिरकार, टीम वहां क्रिकेट खेलने जा रही है, न कि आराम करने।"
'ऑस्ट्रेलिया दौरे पर और फर्स्ट क्लास मैच खेले टीम इंडिया'
गावस्कर ने जोर देकर कहा,"ऑस्ट्रेलियाई टीम बदला लेने के लिए बेताब है और भारतीयों को वहां सीरीज जीत की हैट्रिक बनाने के लिए बहुत तेज होना होगा। इसे 3 दिवसीय खेल में बदलने और युवा अनुभवहीन खिलाड़ियों को विश्व टेस्ट चैंपियन के खिलाफ सफल होने का बेहतर मौका देने के लिए अभी भी समय है। ऐसे में गावस्कर ने बीसीसीआई से ऑस्ट्रेलिया दौरे पर और ज्यादा फर्स्ट क्लास मैच कराने को कहा है।
तीन साल पहले, भारतीय क्रिकेट टीम ऑस्ट्रेलिया दौरे पर बेहतर तैयारी के साथ पहुंचीं थीं। टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया ए के खिलाफ़ तीन वनडे, दो टी20 और एक अभ्यास मैच खेला था, जो भले ही ड्रॉ रहा हो, लेकिन इससे भारत को परिस्थितियों के अनुकूल होने के लिए पर्याप्त समय मिल गया था।