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who is Ashutosh Sharma: मध्य प्रदेश के बैटर आशुतोष शर्मा ने दिल्ली कैपिटल्स को लखनऊ सुपर जायंट्स के खिलाफ यादगार जीत दिलाई। उन्होंने 31 गेंद में 66 रन की तूफानी पारी खेली। कम ही लोगों को पता होगा कि आशुतोष ने 10 साल की उम्र में क्रिकेट के लिए घर छोड़ दिया था।

who is Ashutosh Sharma: मध्य प्रदेश के क्रिकेटर आशुतोष शर्मा की आईपीएल के फलक पर छा जाने की कहानी पूरी फिल्मी है। संघर्ष, कठिनाइयां, सपने और आखिरकार सफलता—इन सबका मेल उनकी जिंदगी को हर किसी के लिए प्रेरणा बनाता है। आशुतोष ने एक दिन पहले ही आईपीएल 2025 में दिल्ली कैपिटल्स की तरफ से खेलते हुए 31 गेंदों में 66 रनों की तूफानी पारी खेली और लखनऊ सुपर जायंट्स के खिलाफ टीम को 1 विकेट से रोमांचक जीत दिलाई। लेकिन इस मुकाम तक पहुंचने का उनका सफर आसान नहीं था।

मध्य प्रदेश के रतलाम में पैदा हुए आशुतोष महज 8 साल की उम्र में इंदौर आ गए थे। हालात इतने मुश्किल थे कि माता-पिता भी उन्हें छोड़कर चले गए थे। कई बार पैसे नहीं होते थे, तो अंपायरिंग करके अपने खाने का इंतजाम करना पड़ता था। 10 साल की उम्र से ही उन्होंने खुद से खाना बनाना और कपड़े तक धोना शुरू कर दिया था। लेकिन उनके क्रिकेटिंग सफर को सही राह तब मिली जब पूर्व भारतीय क्रिकेटर अमय खुरसिया उनकी जिंदगी में आए। 

पिछले साल एक इंटरव्यू में आशुतोश ने कहा था, 'छोटी सी उम्र में ही मुझे रतलाम से इंदौर आना पड़ा था। घर वालों को मुझसे बड़ी उम्मीदें थीं तो मैंने हर मुश्किल का डटकर सामना किया। कई बार पैसे तक नहीं होते थे तो अंपायरिंग करनी पड़ती थी, जिससे एक वक्त की रोटी मिल जाती थी। फ‍िर मुझे सही समय पर अमय सर (अमय खुरासिया) मिले जिन्‍होंने मेरे करियर में बहुत मदद की।'

सपनों की उड़ान और फिर बड़ा झटका
2018 में आशुतोष शर्मा ने सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में मध्य प्रदेश के लिए डेब्यू किया था। उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया। अगले सीज़न मध्य प्रदेश के लिए अपने आख़‍िरी टी20 मैच में उन्‍होंने 84 रन की पारी खेली थी। 2020 में अंडर-23 टूर्नामेंट में 2 शतक भी ठोके थे। सैयद मुश्‍ताक़ अली ट्रॉफ़ी में 6 मैचों में 3 अर्धशतक निकले थे। लेकिन इसके बावजूद उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया। इससे वे बुरी तरह टूट गए थे लेकिन हार नहीं मानी थी। उन्होंने रेलवे की टीम में जाने का निर्णय किया। रेलवे में कोच और सेलेक्टर्स ने उन पर भरोसा जताया और उन्हें पूरी मदद दी। 

डिप्रेशन से बाहर आकर IPL तक का सफर
कोरोना के दौरान हालात और भी खराब हो गए थे। टीम होटल और जिम तक ही सीमित रहने के कारण वो मानसिक रूप से परेशान रहने लगे थे। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि गलती क्या हुई और उन्हें टीम से क्यों बाहर कर दिया गया। लेकिन उन्होंने खुद को संभाला और हर दिन तीन घंटे प्रैक्टिस जारी रखी। धीरे-धीरे हालात बदले और रेलवे की ओर से शानदार प्रदर्शन करने के बाद उन्हें आईपीएल का दरवाजा खुलता नजर आया।

रिकॉर्ड बुक में आशुतोष का नाम दर्ज
रेलवे के लिए खेलते हुए उन्होंने 11 गेंद में अर्धशतक जड़ा और युवराज सिंह का 12 गेंदों में फिफ्टी का रिकॉर्ड तोड़ दिया था। यही नहीं, रणजी ट्रॉफी डेब्यू में गुजरात के खिलाफ उन्होंने शतक भी जड़ा था। यह सब उनकी मेहनत और जुनून का ही नतीजा था।

IPL में धमाका और आगे की उम्मीदें
दिल्ली कैपिटल्स में आने से पहले आशुतोष पंजाब किंग्स के साथ थे। पंजाब ने उन्हें 20 लाख रुपये में खरीदा था। तब कोच संजय बांगर और शिखर धवन के साथ उन्होंने अपनी बल्लेबाजी पर खूब काम किया। संजय बांगर ने उन्हें समझाया कि वह सिर्फ स्लॉगर नहीं, बल्कि एक क्लासिक बल्लेबाज हैं। आशुतोष ने भी अपनी ताकत को पहचाना और आईपीएल में धमाकेदार प्रदर्शन किया।

अब जब आशुतोष IPL में अपनी छाप छोड़ चुके हैं, सभी की नजरें उनके आगे के सफर पर टिकी हैं। उन्होंने संघर्ष से जो सीखा है, वही अब उनकी सबसे बड़ी ताकत बन चुका। देखना दिलचस्प होगा कि यह युवा खिलाड़ी आने वाले समय में अपने करियर को किस मुकाम पर ले जाता है।

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