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Arshad Nadeem: अशरद नदीम ने पाकिस्तान की लाज बचाने का काम किया है। वो पेरिस ओलंपिक के किसी इवेंट के फाइनल में पहुंचने वाले इकलौते पाकिस्तानी बने हैं। उन्होंने जैवलिन थ्रो के क्वालिफिकेशन में 86.59 मीटर का थ्रो किया और फाइनल में जगह बनाई।

नई दिल्ली। जैवलिन थ्रोअर अरशद नदीम ने पाकिस्तान को शर्मसार होने से बचाया। 7 एथलीट के छोटे दल का नेतृत्व करते हुए, पदक लाने का भार अरशद पर था। अन्य 6 पाकिस्तानी एथलीट अपने-अपने खेलों में पहले दौर से ही बाहर हो गए थे। इसके बाद पूरे पाकिस्तान की नजर अरशद पर थी। उन्होंने जैवलिन थ्रो के क्वालिफिकेशन इवेंट में 86.59 मीटर थ्रो कर सीधे फाइनल का टिकट कटाया। 

एशियन गेम्स के रिकॉर्ड होल्डर (90.18 मीटर थ्रो) टोक्यो ओलंपिक में फाइनल में पहुंचे थे। लेकिन 5वें स्थान पर रहे, जिससे वो पोडियम फिनिश से चूक गए थे। उनके पास 8 अगस्त को खुद को सुधारने और पदक के लिए लड़ने का मौका है। नीरज चोपड़ा, एंडरसन पीटर्स, जैकब वडलेज और जूलियन वेबर जैसे खिलाड़ियों के बीच अपनी जगह बनाना आसान नहीं होगा। लेकिन पाकिस्तान की उम्मीदें अरशद पर टिकी होंगी।

पाकिस्तान ने 1992 में बार्सिलोना के बाद से ओलंपिक में कोई पदक नहीं जीता है, जो सियोल (1988) में हुसैन शाह के कांस्य पदक के बाद पहला व्यक्तिगत पदक था और एथलेटिक्स में पाकिस्तान के लिए पहला पदक था।

अरशद को छोड़कर, कोई भी पाकिस्तानी एथलीट पेरिस ओलंपिक में पहले दौर से आगे नहीं बढ़ पाया। उनके धावक, फाइका रियाज़, शेष छह में सर्वश्रेष्ठ एथलीट थे, जो 100 मीटर हीट 2 में छठे स्थान पर रहे। तैराक मुहम्मद अहमद दुर्रानी का प्रदर्शन काफी फीका रहा था। वो 200 मीटर फ़्रीस्टाइल में 25वें स्थान पर रहे थे। 

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