Grandmaster D Gukesh: भारत के 18 वर्षीय शतरंज खिलाड़ी डी. गुकेश ने गुरुवार (12 दिसंबर) को इतिहास रचते हुए सबसे कम उम्र में विश्व शतरंज चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया। उन्होंने मौजूदा चैंपियन डिंग लिरेन (चीन) को निर्णायक फाइनल गेम में हराकर यह खिताब अपने नाम किया। गुकेश ने अपनी इस ऐतिहासिक जीत पर कहा, "मैं अपना सपना जी रहा हूं।"
गुकेश की इस जीत ने भारतीय शतरंज के लिए एक नया अध्याय लिखा है। वे विश्वनाथन आनंद के बाद यह खिताब जीतने वाले दूसरे भारतीय हैं। 55 वर्षीय आनंद, जो अब अर्ध-सेवानिवृत्त हैं ने चेन्नई में अपनी शतरंज अकादमी में गुकेश को ट्रेन किया है।
क्रामनिक का रिएक्शन वायरल
पूर्व विश्व शतरंज चैंपियन व्लादिमीर क्रामनिक ने गुकेश की जीत पर निराशा जताई। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, "कोई टिप्पणी नहीं। दुखद। शतरंज जैसा हम जानते थे, उसका अंत।" क्रामनिक ने डिंग लिरेन द्वारा की गई एक बड़ी गलती को "बच्चों जैसी गलती" करार दिया और कहा, "इतनी साधारण गलती से विश्व चैंपियनशिप का फैसला होना अब तक नहीं देखा गया।" उन्होंने चैंपियनशिप के दौरान खेले गए कुछ मैचों की गुणवत्ता को भी "कमजोर" बताया।
No comment. Sad. End of chess as we know it
— Vladimir Kramnik (@VBkramnik) December 12, 2024
कार्लसन ने भी की आलोचना
पांच बार के विश्व शतरंज चैंपियन मैग्नस कार्लसन ने भी इस चैंपियनशिप के खेल पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, "यह खेल विश्व चैंपियनशिप के मुकाबले जैसा नहीं था। यह किसी ओपन टूर्नामेंट के शुरुआती दौर जैसा लगा।" कार्लसन ने गेम 12 में गुकेश की रणनीति पर टिप्पणी करते हुए कहा कि उन्होंने आक्रामक शैली नहीं अपनाई, जिससे डिंग लिरेन को वापसी करने और मैच बराबरी पर लाने का मौका मिला।
गुकेश ने गैरी कास्पारोव का रिकॉर्ड तोड़ा
गुकेश ने 18 वर्ष की उम्र में गैरी कास्पारोव का रिकॉर्ड तोड़ा, जो 1985 में 22 साल की उम्र में चैंपियन बने थे। इस ऐतिहासिक जीत के साथ गुकेश ने भारतीय शतरंज को वैश्विक मंच पर नई ऊंचाई दी।
गुकेश से हारे डिंग लिरेन ने क्या कहा?
हार के बाद डिंग लिरेन ने कहा, "मुझे अपनी गलती का एहसास होने में समय लगा। यह मेरे लिए साल का सबसे अच्छा टूर्नामेंट रहा। हालांकि कुछ परिस्थितियां मेरे पक्ष में नहीं रहीं, लेकिन कुल मिलाकर मैं संतुष्ट हूं। मुझे किसी बात का पछतावा नहीं है।" गुकेश की यह जीत भारतीय खेल जगत के लिए गर्व का क्षण है और शतरंज की दुनिया में भारत की ताकत को और मजबूत करती है।