नई दिल्ली। भारत और इंग्लैंड के बीच राजकोट में खेले जा रहे तीसरे टेस्ट में भारत की तरफ से दो खिलाड़ियों सरफराज खान और ध्रुव जुरेल ने डेब्यू किया। इस बात की पहले से ही संभावना जताई जा रही थी विकेटकीपर केएस भरत के स्थान पर राजकोट में युवा विकेटकीपर ध्रुव जुरेल को मौका दिया जाएगा और हुआ भी ऐसा ही। ध्रुव को दिनेश कार्तिक ने डेब्यू कैप सौंपी। वो भारत के लिए टेस्ट डेब्यू करने वाले 312वें खिलाड़ी बने।
ध्रुव के पिता नेम सिंह भारतीय सेना में हवलदार से रिटायर हुए थे और देश के लिए कारगिल युद्ध में लड़े थे। पिता के लिए एक बीते एक साल किसी सपने के सच होने जैसा ही रहा है। उन्होंने कहा, "ध्रुव ने आईपीएल खेला, वह इंडिया-ए के लिए खेले और अब उन्हें भारतीय टीम के लिए चुना गया है। यह हमारे लिए एक सपना है। हम नहीं जानते कि लोगों और भगवान का शुक्रिया कैसे अदा करें। दूसरे दिन, मैंने ध्रुव से बात की और उसे पहले से अधिक ज़मीन पर रहने के लिए कहा है।"
पिता ध्रुव को सेना में अफसर बनाना चाहते थे
एक समय ऐसा था, जब पिता नेम सिंह चाहते थे कि बेटा ध्रुव नेशनल डिफेंस एकेडमी (एनडीए) की परीक्षा पास करे और एक सैनिक के रूप में देश की सेवा करे। कारगिल युद्ध लड़ चुके पिता चाहते थे कि ध्रुव देश सेवा की जो पारिवारिक परंपरा है, उसे आगे बढ़ाएं। लेकिन ध्रुव को क्रिकेट का इतना शौक था कि वह अपने पिता के नक्शेकदम पर नहीं चल सकता था। परिवार में किसी ने भी क्रिकेट नहीं खेला है और एक स्थिर नौकरी पाना बड़ा लक्ष्य रहा है।
हालांकि, ध्रुव के मन में कुछ और ही था। शुरुआती दिनों में उनके पिता को कई लोगों ने ऐसा कहा कि कि ध्रुव बहुत अच्छी बल्लेबाजी करता है और उसे इस पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, लेकिन खेल में भविष्य को लेकर चिंता बनी रही।
क्रिकेट में भविष्य को लेकर ध्रुव के पिता चिंतित थे
पिता याद करते हुए कहते हैं, “मेरे परिवार से किसी ने भी क्रिकेट नहीं खेला है। जिसने भी ध्रुव को बल्लेबाजी करते देखा, उसने यही कहा, "लड़का अच्छा है, आप इसे क्रिकेट में डालो। लेकिन मैं एक पिता हूं और उसके भविष्य को लेकर भी चिंतित था। क्रिकेट में अगर कुछ नहीं हुआ तो क्या होगा?"
बैट के लिए मां ने अपनी सोने की चेन गिरवी रखी थी
इसके बाद पिता नेम सिंह ध्रुव को लेकर आगरा की स्प्रिंगडेल एकेडमी के कोच परवेंद्र यादव के पास लेकर गए और उनसे गुजारिश की कि ध्रुव को अच्छा क्रिकेटर बना दें। क्रिकेट एक महंगा खेल है, खासकर अगर कोई बल्लेबाज बनना चाहता है। ध्रुव के पिता को याद है कि कैसे ध्रुव को 800 रुपये का बल्ला चाहिए था और उसकी मां को उनकी पहली किट खरीदने के लिए अपनी सोने की चेन गिरवी रखनी पड़ी थी। लेकिन, आज परिवार का सारा संघर्ष और त्याग सफल हो गया और ध्रुव ने भारत की तरफ से टेस्ट डेब्यू कर लिया।