IND vs ENG: इंग्लैंड के खिलाफ विशाखापत्तनम में खेले गए दूसरे टेस्ट को भारतीय टीम ने 106 रन से जीतकर सीरीज में 1-1 की बराबरी की। इससे पहले हैदराबाद में खेले गए सीरीज के पहले टेस्ट को मेहमान इंग्लैंड ने 28 रन से जीता था। 5 मैचों की सीरीज का तीसरा मुकाबला 15 फरवरी से राजकोट के सौराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन स्टेडियम में खेला जाएगा। इस मुकाबले में भारतीय टीम के लिए जीत आसान नहीं होगी। सौराष्ट्र टेस्ट से पहले भारतीय टीम को कई सुधार करने होंगे। अगर टीम ने इन 5 कमियों को दूर नहीं किया तो सीरीज भी उनके हाथ से फिसल सकती है।

टॉप ऑर्डर की विफलता
भारतीय टॉप ऑर्डर में बड़ी साझेदारी देखने को नहीं मिल रही है। इसकी सबसे बड़ी वजह रोहित शर्मा का टेस्ट में लगातार जारी खराब प्रदर्शन है। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 2 मैचों की टेस्ट सीरीज में और इंग्लैंड के खिलाफ पहले 2 टेस्ट में रोहित बल्ले से नाकाम रहे हैं। रोहित का विकेट जल्दी गिरने के कारण टीम पर दबाव आ जाता है। दूसरे टेस्ट में शुभमन गिल के शतक को छोड़ दें तो उससे पहले उन्होंने भी पिछली कई पारियों में निराश ही किया था। युवा यशस्वी जायसवाल ने कुछ अच्छा पारियां जरूर खेलीं, लेकिन उन्हें टीम का साथ नहीं मिला। 

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मिडिल ऑर्डर रहा फ्लॉप
इंग्लैंड के खिलाफ पहले दो टेस्ट में भारतीय मिडिल ऑर्डर बुरी तरह फ्लॉप रहा है। शीर्ष क्रम में तो यशस्वी और शुभमन ने कुछ अच्छी पारियां खेली भी हैं पर मध्यक्रम का उन्हें भरपूर साथ नहीं मिला है। दूसरे टेस्ट में तो भारतीय मिडिल ऑर्डर बल्लेबाज एक अर्धशतक तक नहीं लगा सके। वहीं पहले टेस्ट में मध्यक्रम में केएल राहुल और रवींद्र जडेजा के बल्ले से अर्धशतक देखने का मिला था। हालांकि, यह दोनों ही बल्लेबाज चोट के कारण दूसरे टेस्ट से बाहर हो गए थे। 

बुमराह को दूसरे छोर से नहीं मिल रहा साथ
इंग्लैंड के खिलाफ दोनों टेस्ट में भारतीय टीम ने 3 स्पिनर्स और 2 तेज गेंदबाजों के साथ मैदान पर उतरी है। पहले टेस्ट में जसप्रीत बुमराह के साथ मोहम्मद सिराज और दूसरे टेस्ट में मुकेश कुमार प्लेइंग 11 का हिस्सा थे। हालांकि, दोनों ही गेंदबाजों ने बुमराह का साथ नहीं दिया है। बुमराह ने पहले टेस्ट में 6 और दूसरे टेस्ट में 9 शिकार किए। दूसरी ओर सिराज को पहले टेस्ट में कोई सफलता नहीं मिली, वहीं मुकेश कुमार दूसरे टेस्ट में सिर्फ 1 विकेट ही चटका सके। दोनों गेंदबाजों ने इस दौरान जमकर रन लुटाए, जिससे विपक्षी टीम पर दबाव भी कम हुआ। विशाखापत्तनम टेस्ट में मुकेश को सिर्फ 12 ओवर ही गेंदबाजी की। 

साझेदारी की कमी
टेस्ट सीरीज में अब तक भारतीय बल्लेबाजों में साझेदारी की कमी साफ नजर आई है। दूसरे टेस्ट की पहली पारी में यशस्वी के दोहरे शतक और दूसरी पारी में गिल के शतक को छोड़ दें तो कोई अन्य बल्लेबाज अर्धशतक भी नहीं लगाया पाया है। दूसरे टेस्ट की पहली पारी में यशस्वी जायसवाल और श्रेयस अय्यर के बीच सर्वाधिक 90 रनों की साझेदारी हुई थी। वहीं दूसरी पारी में शुभमन गिल और अक्षर पटेल ने सर्वाधिक 89 रन जोड़े थे। ऐसे में अगर भारत को सीरीज में बढ़त बना कर रखनी है तो साझेदारियों पर ध्यान देना होगा। खिलाड़ियों को क्रीज पर समय बिताना होगा। 

फील्डिंग में करना होगा सुधार
इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में कुछ कैच और थ्रो को छोड़ दें तो भारतीय टीम की फील्डिंग कुछ खास नहीं रही है। हैदराबाद में खेले गए सीरीज के पहले मुकाबले में आली पोप का कैच छोड़ना भारतीय टीम को भारी पड़ गया था। इसके अलावा दूसरे टेस्ट में ही पोप को स्टंपिंग के जरिए जीवनदान मिला। ऐसे में भारतीय खिलाड़ियों को इस डिपार्टमेंट को और दुरुस्त करने की जरूरत है।

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