नई दिल्ली। मयंक यादव ने पंजाब किंग्स के खिलाफ मैच में लखनऊ सुपर जायंट्स के लिए डेब्यू किया। अपने डेब्यू मैच में ही मयंक ने लखनऊ को जीत दिलाने में अहम योगदान दिया। उन्होंने अपनी रफ्तार से सबको चौंका दिया। डेब्यू मैच में ही मयंक प्लेयर ऑफ द मैच चुने गए। 21 साल के मयंक को इस मुकाबले से पहले कोई शायद ही जानता था। लेकिन, अब उनका नाम शोएब अख्तर, ब्रेट ली जैसे गेंदबाजों के साथ लिया जाने लगा है।
मयंक यादव घरेलू क्रिकेट में दिल्ली की तरफ से खेलते हैं। उन्होंने पंजाब किंग्स के खिलाफ मैच में 4 ओवर में 27 रन देकर 3 विकेट लिए थे। मैच के बाद उन्होंने अपने तेज गेंदबाज बनने की कहानी सुनाई। मयंक ने कहा, मैं डेब्यू को लेकर उत्साहित था। पिछले दो साल से मैं सिर्फ एक ही चीज की कल्पना कर रहा हूं कि जब मैं डेब्यू करूंगा तो पहली गेंद फेंकने पर मुझे कैसा महसूस होगा।हर किसी ने कहा कि कुछ दबाव या घबराहट होगी लेकिन मुझे ऐसा बिल्कुल भी महसूस नहीं हुआ।
मुझे बचपन से रफ्तार पसंद है: मयंक
21 साल के मयंक यादव ने लगातार 140 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गेंदबाजी की और 155.8 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से इस सीजन की सबसे तेज गेंद भी फेंकी। इसे लेकर मयंक ने कहा,"मैंने इससे पहले कभी भी 156 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गेंद नहीं फेंकी। मैंने मुश्ताक अली के दौरान 155 किमी प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ी, लेकिन यह मेरी सबसे तेज गेंद है। यहां तक कि सामान्य जिंदगी में भी, क्रिकेट के अलावा मुझे ऐसी चीजें पसंद हैं जिनमें रफ्तार होती है। फिर चाहें वो रॉकेट हो, हवाई जहाज हो या सुपरबाइक, गति मुझे उत्साहित करती है। बचपन में मुझे जेट विमान पसंद थे और मैं उनसे प्रेरणा लेता था।"
मयंक ने आगे कहा कि जस्टिन लैंगर (मुख्य कोच) या यहां तक कि मोर्ने मोर्कल (गेंदबाजी कोच) ने मुझसे गेंदबाजी को लेकर कुछ नहीं कहा। उन्हें पता है कि गति के साथ-साथ मेरी हार्ड लेंथ गेंद भी अच्छी है। उन्होंने मुझसे बस इतना कहा कि योजना को सरल रखें, गति का उपयोग करें और जितना संभव हो सके हार्ड लेंथ गेंदें फेंकें और साथ ही वे गेंदें डालें जो स्टम्प्स की लाइन पर रहें।