नई दिल्ली। टीम इंडिया को वर्ल्ड चैंपियन बने अभी एक महीना ही हुआ है और श्रीलंका में ऐसा हाल हो गया, जिसके बारे में शायद ही किसी ने सोचा होगा। 27 साल बाद श्रीलंका ने भारत को वनडे सीरीज में धूल चटा दी। वैसे, महीने भर पहले भारत टी20 का विश्व विजेता बना था और श्रीलंका से उसे हार वनडे में मिली है। दोनों अलग-अलग फॉर्मेट होते हैं, इसलिए तुलना करना सही नहीं है। लेकिन, जब रोहित शर्मा, विराट कोहली, मोहम्मद सिराज और अर्शदीप जैसे खिलाड़ी इस सीरीज का हिस्सा हों तो फिर तुलना करना गलत भी नहीं। इस सीरीज ने ऐसे कई सवाल खड़े किए हैं, जिनके जवाब टीम इंडिया को जल्द से जल्द ढूंढने होंगे। क्योंकि अगले साल चैंपियंस ट्रॉफी खेली जानी है और उससे पहले भारत बहुत कम वनडे मैच खेलेगा। ऐसे में कमजोरियों को अभी दूर करना जरूरी है।
श्रीलंका के खिलाफ वनडे सीरीज के बाद भारत के सामने जो पहला सवाल खड़ा हुआ है, वो है टर्निंग ट्रैक पर बल्लेबाजों का फीका प्रदर्शन। श्रीलंका के खिलाफ तीन मैच की वनडे सीरीज में ये कमजोरी खुलकर सामने आई। भारतीय बल्लेबाजों को स्पिन खेलने में माहिर माना जाता है। अतीत में ये भारतीय बल्लेबाजी का सबसे मजबूत पहलू था। लेकिन, बीते कुछ सालों में ये देखने में आया कि इक्का-दुक्का बल्लेबाजों को छोड़ दें तो भारतीय बैटर्स स्पिन गेंदबाजों के खिलाफ रन बनाने में संघर्ष कर रहे हैं और ऐसा सिर्फ वनडे नहीं, बल्कि टी20 और टेस्ट में भी नजर आ रहा है।
सीरीज में 27 विकेट श्रीलंकाई स्पिनर्स ने लिए
श्रीलंका के खिलाफ 3 वनडे की सीरीज में 27 विकेट श्रीलंका के स्पिन गेंदबाजों ने लिए। ये 3 मैचों की सीरीज में किसी टीम द्वारा स्पिन के खिलाफ गंवाए गए विकेटों की संख्या में सबसे ऊपर है। दोनों टीमों के बीच टाई हुए पहले वनडे में श्रीलंका के स्पिन गेंदबाजों ने कुल 37.5 ओवर गेंदबाजी की थी और इसमें 167 रन देकर भारत के 9 विकेट झटके थे। दूसरे वनडे में लंका के स्पिन गेंदबाजों ने 35.2 ओवर फेंके और फिर भारत के 9 विकेट झटके। वहीं, तीसरे वनडे में श्रीलंकाई स्पिनर्स ने 21.1 ओवर गेंदबाजी की और फिर 9 भारतीय बल्लेबाजों का शिकार किया।
स्पिन गेंदबाजों के आगे भारतीय बल्लेबाज बेबस
श्रीलंका के युवा स्पिनर दुनिथ वेलालागे ने तीसरे वनडे में 27 रन देकर 5 विकेट लिए थे। वेलालागे भारत के खिलाफ वनडे में 2 बार 5 या उससे अधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज बनें। उन्होंने 2023 में कोलंबो में ही 40 रन देकर 5 विकेट झटके थे। इससे पहले, दूसरे वनडे में स्पिनर जैफ्री वैंडरसे ने 6 विकेट हासिल किए थे। इन आंकड़ों से समझा जा सकता है कि स्पिन के खिलाफ भारतीय बल्लेबाज कितना संघर्ष कर रहे। विराट कोहली इस पूरी सीरीज में तीनों बार स्पिन गेंदबाजों के खिलाफ आउट हुए। ऐसे में भारतीय टीम मैनेजमेंट को जल्द से जल्द इस सवाल का जवाब ढूंढना होगा।
बुमराह के बिना पेसर दिखे गुमराह
दूसरा सवाल जो भारत के सामने इस सीरीज हार के बाद खड़ा हुआ है, वो ये कि क्या टीम इंडिया का पेस अटैक जरूरत से ज्यादा बुमराह पर निर्भर है। बुमराह को टी20 विश्व कप के बाद वर्कलोड मैनेजमेंट के तहत श्रीलंका दौरे पर आराम दिया गया था। इसका असर वनडे सीरीज में साफ नजर आया। शुरुआत और बीच के ओवर में श्रीलंका के विकेट झटकने के बाद भी भारतीय गेंदबाज श्रीलंका को छोटे स्कोर पर नहीं रोक पाए और उनके निचले क्रम के बल्लेबाजों ने हर मैच में इतना स्कोर खड़ा कर दिया, टर्निंग ट्रैक पर जिसे हासिल करना भारत के लिए चुनौती साबित हुआ।
इस सीरीज में मोहम्मद सिराज की गेंदबाजी फीकी रही। उन्होंने तीन मैच में 150 गेंद फेंकी और 157 रन दिए। उन्होंने सिर्फ 3 विकेट ही लिए। उनका औसत 52 से अधिक का रहा और सिराज काफी महंगे साबित हुए। यही हाल अर्शदीप सिंह का भी रहा। वो दो मैच खेले और 17 ओवर में 105 रन दिए। उनके खाते में भी 2 विकेट ही आए। ऐसे में भारतीय टीम को ऐसे गेंदबाज ढूंढने होंगे जो बुमराह की गैरहाजिरी में टीम इंडिया को जीत दिला सकें। खासतौर पर डेथ ओवर में बेहतर गेंदबाजी कर सकें।
बैटिंग ऑर्डर में बार-बार बदलाव बंद करना होगा
भारतीय़ बल्लेबाजों का प्रदर्शन इस सीरीज में निराशाजनक रहा। टीम मैनेजमेंट ने पूरी सीरीज में बैटिंग ऑर्डर में बदलाव किए। मध्यक्रम में लेफ्ट और राइट हैंड कॉम्बिनेशन के लिहाज से खिलाड़ियों को बल्लेबाजी क्रम में ऊपर नीचे भेजा गया। पिछले कुछ समय से भारतीय टीम की बैटिंग ऑर्डर सेट नजर नहीं आ रहा है। कम से कम मध्य क्रम में तो ये परेशानी नजर आ रही है। ऐसे में श्रीलंका से मिली हार के बाद अब ये समय आ गया है कि हर बल्लेबाज का बैटिंग क्रम और उसका रोल तय़ हो।