Saurav Ganguly on Vinesh Phogat: पेरिस ओलंपिक में गोल्ड मेडल से चूकी भारतीय महिला रेसलर विनेश फोगाट पर देश में चर्चा हो रही है। अब इसमें नया नाम भारतीय क्रिकेट के दादा सौरव गांगुली का जुड़ गया है। विनेश को 100 ग्राम अधिक वजन होने के चलते फाइनल से बाहर कर दिया गया। इससे वह देश के लिए गोल्ड मेडल नहीं जीत पाईं।
हालांकि विनेश फोगाट ने सिल्वर मेडल की मांग करते हुए CAS में अपील की थी। इस पर अब सुनवाई पूरी हो चुकी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मंगलवार को विनेश पर फैसला आना संभव है। वहीं, अब पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली विनेश फोगाट के समर्थन में आ गए हैं। उन्होंने कहा कि मैं ओलंपिक के नियम तो नहीं जानता, लेकिन विनेश फाइनल में पहुंचीं है तो उन्हें सिल्वर मेडल जरूर मिलना चाहिए।
बता दें कि विनेश फोगाट को पेरिस ओलंपिक में कुश्ती के फाइनल मुकाबले से पहले अयोग्य घोषित कर दिया गया था। उन्हें 50 किलोग्राम वर्ग के फाइनल में भिड़ना था। इससे पहले वजन करने के दौरान उनका 100 वजन अधिक निकला। इसके बाद उन्हें अयोग्य घोषित किया गया। भारत में इस फैसले का काफी विरोध हुआ। हालांकि भारत सरकार ने विनेश का समर्थन किया। इसके बाद विनेश फोगाट ने CAS (खेल मामलों की कोर्ट) में अपील दायर की। जिसमें उन्होंने खुद को सिल्वर मेडल का हकदार बताया। इस मामले में सुनवाई पूरी हो चुकी है और फैसले का इंतजार है।
VIDEO | "I don't know the exact rule, but I'm sure that when she reached the finals, she must have qualified properly. So when you go to the finals, it's either a Gold or Silver medal. Whether she was disqualified wrongfully or not, I don't know, but she deserves the Silver medal… pic.twitter.com/0TU6WeZbjb
— Press Trust of India (@PTI_News) August 11, 2024
अभिनव बिंद्रा ने बताया दुर्भाग्यपूर्ण
सौरव गांगुली से पहले ओलंपिक गोल्ड विजेता अभिनव बिंद्रा ने भी विनेश फोगाट को लेकर अपनी संवेदनाएं व्यक्त की थी। उन्होंने कहा कि विनेश फोगाट पर फैसला सुनकर मैं दंग रह गया। मुझे ऐसा अंदाज भी नहीं था। ये क्या हो रहा था।
हालांकि उन्होंने माना कि खेल के नजरिए से यह नियमों से बंधा हुआ होता है। लेकिन मानवीय पक्ष की बात की जाए तो यह बहुत क्रूर है। विनेश फोगाट पिछले डेढ़ साल से संघर्ष कर रही हैं। ऐसे समय में खेल में वापसी करना और अच्छा प्रदर्शन कर फाइनल में जाना बहुत बड़ी बात है, लेकिन इतनी यात्रा करने के बाद ऐसा होना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। मुझे लगता है कि शायद हमारे इतिहास में भारतीय खेल के लिए सबसे क्रूर दिन था।