नई दिल्ली. भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच सीरीज रोमांचक मुकाबलों के अलावा विवादों के लिए भी सुर्खियों में रही हैं। एक बार फिर टीम इंडिया साउथ अफ्रीका दौरे पर जा रही है। दोनों देशों के बीच 3 वनडे, तीन टी20 और 2 टेस्ट की सीरीज खेली जाएगी। सीरीज का आगाज 10 दिसंबर से होगा।
वैसे तो, भारत और साउथ अफ्रीका के क्रिकेट रिश्ते अच्छे रहे हैं लेकिन 2001 के साउथ अफ्रीका दौरे पर बड़ा भूचाल आया था। तब मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर को मैच रेफरी माइक डेनेस ने बॉल टेम्परिंग के आरोप में सस्पेंड कर दिया था।
सचिन तेंदुलकर को निलंबित करने की ये घटना 2001 में पोर्ट एलिजाबेथ में खेले गए दूसरे टेस्ट के दौरान घटी थी। तब मैच रेफरी माइक डेनिस ने भारतीय कप्तान सौरव गांगुली, वीरेंद्र सहवाग और सचिन तेंदुलकर समेत 6 भारतीय खिलाड़ियों को निलंबित किया था।
गांगुली पर जहां 1 टेस्ट और 2 वनडे के लिए प्रतिबंध लगाया गया था। वहीं, सहवाग को एक टेस्ट के लिए सस्पेंड किया गया था। हालांकि, विवाद का केंद्र तेंदुलकर पर 'गेंद से छेड़छाड़' के लिए लगाया गया एक टेस्ट का प्रतिबंध था।
जब सचिन पर लगा था बैन
सचिन पर एक टेस्ट का बैन लगाने के मामले ने इतना तूल पकड़ा था कि भारतीय संसद में भी इस मुद्दे की गूंज सुनाई दी थी। तब भारतीय फैंस सड़कों पर उतर गए थे और मैच रेफरी माइक डेनिस के पुतले तक फूंके थे और उन्हें नस्लवादी तक करार दिया था।
सचिन ने बॉल टेम्परिंग के आरोपों को नकारा था
सचिन पर यह आरोप लगा था कि बॉलिंग के दौरान उन्होंने गेंद की सीम को नाखून से खरोचा था। हालांकि, वीडियो देखकर ऐसा नहीं लग रहा था कि सचिन ने किसी भी तरह बॉल से छेड़छाड़ की थी। खुद तेंदुलकर ने भी ये कहा था कि वो गीली गेंद से मिट्टी हटाने की कोशिश कर रहे थे।
मैच रेफरी के करियर पर पड़ा बुरा असर
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) द्वारा दौरे से हटने की धमकी के बाद बैन टिक नहीं सका और दक्षिण अफ्रीका क्रिकेट बोर्ड ने इसके प्रभाव के डर से, तीसरे टेस्ट के लिए माइक डेनिस को मैच रेफरी नहीं बनाया था। इसी वजह से आईसीसी ने इस टेस्ट को ऑफिशियल स्टेटस तक नहीं दिया था।
आईसीसी ने इसके लिए ये दलील थी कि ये मुकाबला उसकी तरफ से तय किए गए मैच रेफरी की देखरेख में नहीं खेला गया था। नतीजतन, उस टेस्ट में शतक लगाने वाले शॉन पोलॉक का नाम रिकॉर्ड बुक में नहीं दर्ज नहीं हुआ था।
इस विवाद का माइक डेनिस के करियर पर भी असर पड़ा था। वो इसके बाद केवल 2 और टेस्ट और तीन वनडे में ही मैच रेफरी के रूप में काम कर पाए। आईसीसी ने भी उन्हें दोबारा ये जिम्मेदारी नहीं सौंपने का फैसला कर लिया था।