नई दिल्ली। पाकिस्तान की क्रिकेट टीम अंडर-19 वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंचने से चूक गई। दूसरे सेमीफाइनल में उसे ऑस्ट्रेलिया ने एक रोमांचक मुकाबले में 1 विकेट से हराया। पाकिस्तान ने ऑस्ट्रेलिया को 180 रन का लक्ष्य ही दिया था। इसके बावजूद एक समय पाकिस्तान ने 164 रन के स्कोर पर ऑस्ट्रेलिया को 9 विकेट गिरा दिए थे। जीत करीब नजर आ रही थी, लेकिन राफ मैकमिलन और कैलम विडलर ने 17 रन की नाबाद साझेदारी कर ऑस्ट्रेलिया को जीत दिला दी।
पाकिस्तान को जीत की दहलीज तक ले जाने में जिस एक खिलाड़ी का रोल सबसे अहम रहा। वो हैं अली रजा। अली की उम्र महज 15 साल है। लेकिन, उन्होंने अंडर-19 विश्व कप के सेमीफाइनल में अकेले ऑस्ट्रेलिया को पानी पिला दिया। अली ने 10 ओवर में 34 रन देकर 4 विकेट झटके। उन्होंने 2 ओवर मेडन भी फेंके। अली रजा ने अपने 10वें ओवर में 4 गेंद के भीतर दो विकेट झटककर ऑस्ट्रेलिया को बैकफुट पर धकेल दिया था। लेकिन, आखिर में ऑस्ट्रेलिया मुकाबला जीत गया। लेकिन, दिल अली रजा ने जीता।
कभी फटे जूते पहनकर गेंदबाजी करता था
अली रजा पाकिस्तान के शेखपुरा से आते हैं। तीन साल पहले पाकिस्तान की अंडर-19 क्रिकेट टीम के असिस्टेंट बॉलिंग कोच मुहम्मद मसरूर की पहली बार रजा पर नजर पड़ी थी। तब अली की उम्र 12 साल थी और वो शेखपुरा में राणा नावेद उल हल क्रिकेट एकेडमी के नेट्स में फटे हुए जूते पहनकर गेंदबाजी कर रहा था। मसरूर ने ही पहली बार रजा के टैलेंट को पहचाना था और फिर नवंबर 2022 में बांग्लादेश के खिलाफ घरेलू सीरीज में रजा को मौका मिला था।
15 साल का अली घंटों नेट्स में गेंदबाजी करता है
मुहम्मद मसरूर ने अली रजा के समर्पण की कहानी भी सुनाई। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा, "हम राणा नावेद क्रिकेट एकेडमी में तीन दिवसीय मैच खेल रहे थे। सुबह मैंने एक लड़के को नेट्स पर झाड़ू लगाते देखा और वो लगातार 2 घंटे तक गेंदबाजी करते देखा। लंच के दौरान इस लड़के ने बस एक घंटे आराम दिया और फिर से गेंदबाजी शुरू कर दी। वह (अली) लंबी रेस का घोड़ा है। वह लंबे स्पैल फेंकना जानते है, जो आप मौजूदा तेज गेंदबाजों में नहीं देखते हैं। वह टी20 गेंदबाज नहीं है।"
मुहम्मद ने आगे बताया कि अली रजा ने अपना ज्यादातर क्रिकेट गांव में खेला है। उसे जिम जाना पसंद नहीं है। उसे नेट्स में गेंदबाजी करना पसंद है। आपको उसे नेट्स से हटाना पड़ता है। पाकिस्तान के इस हिस्से से अच्छे तेज गेंदबाज निकले हैं। मोहम्मद आसिफ, आकिब जावेद और राणा नावेद उल हसन भी यहीं से निकले हैं और ये तीनों कितने काबिल गेंदबाज रहे हैं, ये बताने की जरूरत नहीं।
15 साल के अली रजा ने सिर्फ सेमीफाइनल में ही अच्छी गेंदबाजी नहीं की, बल्कि पूरे टूर्नामेंट में उन्होंने अपनी रफ्तार से चौंकाया है। अगर यही प्रदर्शन जारी रहा तो फिर ये कहना गलत नहीं होगा कि पाकिस्तान को एक और तेज गेंदबाज मिल गया है।