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Who is Aman Sehrawat: पेरिस ओलंपिक में अमन सहरावत ने भारत को कुश्ती में पहला पदक दिलाया। अमन ने अपनी जिंदगी को बेहद संघर्षों के बीच से निकाला है।

Who is Aman Sehrawat: भारतीय पहलवान अमन सहरावत ने गुरुवार रात भारत को एक और पदक दिलाया। उन्होंने 57 किग्रा कुश्ती स्पर्धा में प्यूर्टो रिको के डेरियन टोई क्रूज़ को 13-5 से हराकर कांस्य पदक जीत लिया। इससे भारत के कुल पदकों की संख्या 6 हो गई। अमन सहरावत भारत के सबसे युवा ओलंपिक मेडलिस्ट बन गए हैं। वह महज 21 साल के हैं।  

इससे पहले सेमीफाइनल में अमन सहरावत को जापान के री हिगुची ने एकतरफा मुकाबले में हरा दिया था। हालांकि इससे पहले अमन ने क्वार्टर फाइनल में अल्बानिया के पूर्व विश्व चैंपियन ज़ेलिमखान अबकारोव को मात दी। उससे पहले व्लादिमीर एगोरोव पर जीत के साथ अपने अभियान की शुरुआत की थी। क्वार्टर फाइनल मुकाबले में अमन ने तकनीकी श्रेष्ठता के आधार पर 12-0 से जीत दर्ज कर लगातार 8 अंक हासिल किए।

कौन है अमन सहरावत?  
अमन सहरावत हरियाणा के झज्जर जिले के बिरोहर गांव के रहने वाले हैं। 10 साल की उम्र में उन्होंने अपनी मां को खो दिया। इसके बाद पिता ने ध्यान बंटाने के लिए उन्हें कुश्ती में भेज दिया। वहीं, मां के गुजरने के एक साल बाद ही पिता भी चल बसे। इसके बाद चाचा ने अमन की देखभाल की, लेकिन मां-पिता की याद में अमन डिप्रेशन का शिकार हो गए। 11 साल की उम्र में अमन ने कुश्ती खेलना शुरू कर दिया। 

शर्मीला स्वभाव, सीखने की ललक गजब  
अमन सहरावत के कोच ललित कुमार कहते हैं कि शुरुआत में अमन शर्मीले स्वभाव का था। हालांकि समर्पण भाव ने उनमें सीखने की ललक पैदा कर दी। वह सीखते चले गए। अमन अब पहलवान बन गए थे। साल 2019 में कजाकिस्तान के नूर-सुल्तान में एशियाई कैडेट चैंपियनशिप में अमन सहरावत ने गोल्ड मेडल जीता तो उन्हें काफी सुर्खियां मिलीं। इसके बाद उन्होंने विभिन्न टूर्नामेंटों में भाग लेना और खुद का हुनर दिखाना जारी रखा। एशियाई खेल 2022 में उन्होंने एक बार फिर अपनी गति और तकनीक से सभी को प्रभावित किया। इस बार अमन ने 57 किग्रा स्पर्धा में कांस्य पदक जीता। इसके बाद साल 2023 में अमन ने अस्ताना में एशियाई चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीत लिया।  

इसके बाद अमन का ध्यान पूरी तरह पेरिस ओलंपिक 2024 पर शिफ्ट हो गया। इसके लिए उन्होंने इस्तांबुल में विश्व कुश्ती ओलंपिक क्वालीफायर में भाग लिया, जहां सेमीफाइनल में कोरिया के चोंगसोंग हान को 12-2 से हराकर ओलंपिक में क्वॉलीफाई करने वाले एकमात्र पुरुष पहलवान बन गए। 

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