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Who is Manish Narwal: पेरिस पैरालंपिक 2024 में मनीष नरवाल ने सिल्वर मेडल पर निशाना साधा। मनीष लियोनल मेसी की तरह फुटबॉलर बनना चाहते थे। लेकिन, जन्मजात विकलांगता की वजह से उनका ये सपना पूरा नहीं हो पाया। पर पेरिस में सिल्वर मेडल जीतकर इतिहास रचा।

Who is Para Shooter Manish Narwal: पेरिस पैरालंपिक 2024 का दूसरा दिन भारत के लिए यादगार रहा। भारत ने इन खेलों के दूसरे दिन शुक्रवार को एक-दो नहीं बल्कि पूरे 4 मेडल जीते। भारत के लिए अवनि लखेरा ने गोल्ड से सीधा खाता खोला और इसके बाद शूटिंग में मनीष नरवाल ने भारत को रजत पदक दिलाया। उन्होंने 10 मीटर एयर पिस्टल SH1 इवेंट में सिल्वर मेडल अपने नाम किया। 

22 साल के मनीष नरवाल ने धीमी शुरुआत से उबरते हुए 234.9 के स्कोर के साथ सिल्वर मेडल जीता। उन्होंने फाइनल में बढ़त ले ली थी। लेकिन लगातार 10 से कम शॉट लगाने की वजह से वो गोल्ड मेडल से चूक गए। दक्षिण कोरिया के जो जियोंगडू ने 237.4 के कुल स्कोर के साथ स्वर्ण पदक जीता, जबकि चीन के यांग चाओ ने कांस्य पदक जीता।

टोक्यो में पी4 मिक्स्ड 50 मीटर पिस्टल एसएच1 में स्वर्ण जीतने के बाद यह मनीष का दूसरा पैरालंपिक पदक है। फाइनल में, नरवाल की शुरुआत अच्छी नहीं रही और वे पहले दो शॉट के बाद क्रमशः छठे और पांचवें स्थान पर रहे। लेकिन एलिमिनेशन शुरू होने के बाद वे लगातार पदक की रेस में बने रहे।  वे 16 शॉट के बाद दक्षिण कोरियाई खिलाड़ी पर 0.8 की बढ़त के साथ स्वर्ण पदक जीतने की दहलीज पर पहुंच गए थे। 

हालांकि, तभी नरवाल की हिम्मत जवाब दे गई और 9.9 और 9.8 की सीरीज ने उन्हें दूसरे स्थान पर खिसका दिया। जहां वे फाइनल के बाकी समय तक बने रहे। उनका सिर्फ़ एक शॉट 10 से ज़्यादा का था, जिससे स्वर्ण और रजत के बीच का अंतर बढ़ गया। हालांकि, वे रजत पदक की रेस में मजबूती से बने रहे और 8.9 के स्कोर के बावजूद, पैरालिंपिक पोडियम पर फिर से पहुंचने में सफल रहे। 

मनीष का छोटा भाई भी इंटरनेशनल निशानेबाज
मनीष नरवाल इंटरनेशनल निशानेबाज़ शिव नरवाल के बड़े भाई हैं और उन्होंने अपने भाई के साथ भी शूटिंग स्पर्धाओं में भाग लिया है। हरियाणा के बल्लभगढ़ के 22 साल के मनीष नरवाल के दाहिने हाथ में जन्मजात विकलांगता है, जिसने उनके अपने आदर्श लियोनल मेसी की तरह फुटबॉल खिलाड़ी बनने के सपने को तोड़ दिया था। एक दोस्त के सुझाव पर, मनीष के पिता उन्हें पास की टेनएक्स शूटिंग एकेडमी ले गए और उन्होंने 16 साल की उम्र में निशानेबाजी की शुरुआत की। जल्द ही उन्होंने एशियाई खेलों में मेडल जीता और तीन साल में, वह रिकॉर्ड स्कोर के साथ पैरालिंपिक चैंपियन बन गए।

मनीष ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसी फॉर्म को जारी रखा है और पिछले साल सितंबर में विश्व शूटिंग पैरा स्पोर्ट चैंपियनशिप में 10 मीटर पिस्टल SH1 में विश्व चैंपियन बने और फिर पैरा एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीता। पेरिस में रजत पदक ने उनकी पहले से ही प्रभावशाली साख को और बढ़ा दिया है। एक ऐसे निशानेबाज के लिए बुरा नहीं है, जिसने इस खेल को मजे के लिए अपनाया, जबकि उसे यह भी नहीं पता था कि पैरालिंपिक जैसा भी कोई इवेंट होता है जहां वो चमक सकता है।

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