Yashasvi Jaiswal: इंग्लैंड के खिलाफ विशाखापत्तनम में खेले जा रहे दूसरे टेस्ट में भारतीय क्रिकेट टीम के सलामी बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल ने दोहरा शतक लगाया। पहले दिन 179 रन बनाने वाले यशस्वी ने दूसरे दिन अपने टेस्ट करियर का पहला दोहरा शतक पूरा किया। इसके लिए उन्होंने 277 गेंदों का सहारा लिया। जायसवाल ने 290 गेंदों पर 72.07 की स्ट्राइक रेट से 209 रन बनाए। इस दौरान उनके बल्ले से 19 चौके और 7 छक्के निकले।
पूरी टीम ने बनाए 185 रन
यशस्वी के अलावा पूरी भारतीय टीम सिर्फ 185 रन ही बना सकी। क्रिकेट जगत में आज हर तरफ यशस्वी के नाम की चर्चा हो रही है। हालांकि, उनके लिए यह सफर जरा भी आसान नहीं था। लोगों को यशस्वी की सफलता तो दिख रही है पर उनके पैरों के छाले किसी ने नहीं देखे हैं। इस मुकाम तक पहुंचने के लिए उन्होंने बहुत पापड़ बेले हैं। यशस्वी टेंट में रहे, उन्होंने पानी पूरी बेची और कई बार तो उन्हें भूखा तक सोना पड़ा है।
That Leap. That Celebration. That Special Feeling 👏 👏
— BCCI (@BCCI) February 3, 2024
Here's how Yashasvi Jaiswal notched up his Double Hundred 🎥 🔽
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11 साल की उम्र में आए थे मुंबई
उत्तर प्रदेश के भदोही के रहने वाले यशस्वी का बचपन गरीबी में बीता। 11 साल की उम्र में वह क्रिकेटर बनने का सपना लेकर मायानगरी मुंबई पहुंचे थे। अंजान शहर में उनके लिए सबकुछ जरा भी आसान नहीं था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मुंबई में पेट पालने के लिए वह आजाद मैदान में राम लीला के दौरान गोलगप्पे और फल बेचते थे। कई बार उन्हें भूखे पेट ही सोना पड़ता था। संघर्ष के दिनों में उन्होंने डेयरी में भी काम किया। एक दिन उन्हें वहां से भी नौकरी खोनी पड़ी।
एक क्लब ने की यशस्वी की मदद
इसी दौरान एक क्लब ने उनकी मदद की। हालांकि, क्लब ने यह शर्त रखी कि अगर वह अच्छा खेलेंगे तो उन्हे टेंट में सिर ढकने की जगह दी जाएगी। इस टेंट में यशस्वी रोटी बनाने का काम करते थे। वहां उन्हें दोपहर और रात में भोजन मिलता था। एक इंटरव्यू में यशस्वी ने बताया था कि उन्हें टेंट में रात गुजारनी पड़ती थी। वहां लाइट नहीं होती थी। उनके पास इतने पैसे भी नहीं थे कि वह कहीं कमरा लेकर रह सकें। टेंट में सोने के लिए जगह पाने के लिए भी उन्हें कड़ी मशक्कत करनी पड़ती थी। वहां रहने वाले माली यशस्वी के साथ बुरा बर्ताव करते थे। कई बार तो यशस्वी को मार तक खानी पड़ी।
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पैसे कमाने के लिए की जद्दोजहद
पैसे कमाने के लिए यशस्वी ने गेंद की तलाश करने का काम भी किया था। अक्सर आजाद मैदान में गेंद खो जाया करती थी। ऐसे में यशस्वी को इसे खोजने के पैसे मिलते थे। 2013 में कोच ज्वाला सिंह की नजर यशस्वी के प्रदर्शन पर पड़ी। ज्वाला सिंह उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के रहने वाले थे। इसके बाद वह यशस्वी को तराशने में लग गए। यशस्वी ने अपने कोच के बारे में कहा था, ''मैं उनका गोद लिया हुआ बेटा हूं। मुझे इस मुकाम तक पहुंचाने में उनका अहम योगदान है।''
कोच ज्वाला की पड़ी नजर
यशस्वी के कोच ज्वाला सिंह ने मीडिया को बताया था, जब मैं यशस्वी से मिला तो मुझे उस बच्चे में अपनी झलक नजर आई। मैं भी गोरखपुर से मुंबई क्रिकेटर बनने के लिए आया था। रमाकांत आचरेकर सर से मैंने क्रिकेट सीखा। उस समय मैं भी एक-एक पैसे का मोहताज रहता था। जब मैं यशस्वी से मिला तो मैंने यह निश्चय किया कि यह बच्चा मेरी तरह क्रिकेटर बनने से चूकना नहीं चाहिए। मैंने उसे अपने घर में रखने का निर्णय लिया।
राजस्थान रॉयल्स ने जताया भरोसा
इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) 2020 की नीलामी में राजस्थान रॉयल्स ने यशस्वी पर दांव लगाया। फ्रेंचाइजी ने उन्हें 2.4 करोड़ रुपये में खरीदा। पहला सीजन तो उनका कुछ खास नहीं रहा था और उन्होंने 3 मुकाबलों में मात्र 40 रन बनाए थे। IPL 2021 में यशस्वी ने 10 मुकाबले खेले और करीब 150 की स्ट्राइक रेट से 249 रन बनाए। IPL 2022 से पहले हुए मेगा ऑक्शन में राजस्थान ने यशस्वी पर भरोसा जताया और 4 करोड़ रुपये में रिटेन किया। इस सीजन यशस्वी ने 10 मैच में 258 रन बनाए। IPL 2023 में यशस्वी ने अपने प्रदर्शन का लोहा मनवाया। उन्होंने 14 पारियों में करीब 49 की औसत और 164 की स्ट्राइक रेट से 625 रन बनाए।
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में यशस्वी का प्रदर्शन
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में यशस्वी के प्रदर्शन की बात करें तो उन्होंने अब तक खेले 6 टेस्ट की 10 पारियों में 620 रन बनाए हैं। इस दौरान उन्होंने 2 अर्धशतक और 2 शतक लगाए हैं। टेस्ट में उनका सर्वाधिक स्कोर 209 रन है। इसके अलावा वह 17 टी-20 अंतरराष्ट्रीय की 16 पारियों में 502 रन बना चुके हैं। इस दौरान उनकी स्ट्राइक रेट 161.94 की रही है। क्रिकेट के इस प्रारूप में उनके नाम 4 अर्धशतक के साथ ही 1 शतक दर्ज है।