Nalanda University in Rajgir: नालंदा विश्वविद्यालय के पुनरुद्धार को 2006 में गति मिली जब भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने बिहार राज्य विधान सभा के एक सत्र के दौरान इसकी पुनर्स्थापना का प्रस्ताव रखा।
बिहार का विश्व प्रसिद्ध नालंदा विश्वविद्यालय 825 साल बाद फिर इतिहास रचने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को राजगीर स्थित इसके नए कैम्पस का उद्घाटन करेंगे। सुबह 9.45 बजे पीएम मोदी नालंदा के उन खंडहरों का भी दौरा करेंगे। जिसे एहसान फरामोश बख्तियार खिलजी ने अपनी जिद के चलते खंडहर बनाया था।
नालंदा विश्वविद्यालय का प्राचीन कैम्पस अपनी विशाल लाइब्रेरी और अद्भुत ज्ञान के लिए प्रसिद्ध था, लेकिन एहसान फरामोश बख्तियार खिलजी ने आग लगवा दी थी। लाइब्रेरी इतनी बड़ी थी कि इसमें रखी किताबें तीन महीने तक सुलगती रहीं। बाद में वह बिहार का पहला मुस्लिम शासक भी बना और धर्माचार्यों व बौद्ध भिक्षुओं को मारकर नालंदा विश्वविद्यालय को खंडहर बना डाला।
नालंदा विश्वविद्यालय का नया कैम्पस पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (ईएएस) देशों और भारत के बीच एक सकारात्मक पहल है। उद्घाटन समारोह में 17 देशों के मिशन प्रमुख व प्रतिष्ठित नागरिक शामिल होंगे।
नालंदा यूनिवर्सिटी कैम्पस में 40 कक्षाओं के साथ दो शैक्षणिक ब्लॉक हैं। जहां 1,900 स्टूडेंट पढ़ाई कर सकेंगे। 300-300 सीटर क्षमता के दो सभागार हैं। 550 छात्रों के लिए हॉस्टल की भी व्यवस्था होगी। इसके अलावा परिसर में अंतर्राष्ट्रीय केंद्र, 2,000 लोगों की क्षमता वाला एम्फीथिएटर, संकाय क्लब और खेल परिसर भी उपलब्ध है।
नालंदा यूनिवर्सिटी का कैम्पस पूरी तरह से इको फ्रेंडली है। यहां अपशिष्ट जल रीसाइक्लिंग प्लांट के साथ सौर संयंत्र, घरेलू और पेयजल उपचार संयंत्र उपलब्ध है। 100 एकड़ के जल निकायों व कई अन्य पर्यावरण के अनुकूल सुविधाओं के साथ पूरी तरह से आत्मनिर्भर परिसर है।
- 1,600 साल पहले स्थापित मूल नालंदा यूनिवर्सिटी दुनिया की पहली आवासीय विवि थी। इसका नाया कैम्पस भी इतिहास से काफी संबंधित है। 2016 में नालंदा के खंडहरों को संयुक्त राष्ट्र विरासत स्थल घोषित किया गया।
- 28 मार्च 2006 को तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने बिहार विधान मंडल के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए नालंदा विवि को पुनर्जीवित करने का सुझाव दिया।
- एक साल बाद बिहार विधान सभा ने उनके इस सुझाव पर अलम करते हुए नए विश्वविद्यालय के निर्माण को नालंदा विश्वविद्यालय विधेयक-2010 पारित किया। जिसे राज्यसभा में 21 अगस्त, 2010 और 26 अगस्त 2010 को लोकसभा में मंजूरी क बाद 21 सितंबर 2010 को राष्ट्रपति ने अधिनियम का स्वररूप दिया। 25 नवंबर 2010 को नालंदा विश्वविद्यालय की आधिकारिक स्थापना हुई।