Sharda Sinha Last Rites: लोकगायिका शारदा सिन्हा का पटना के गुलबी घाट पर राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। उनके अंतिम दर्शन के लिए बड़ी संख्या में प्रशंसक और चाहने वाले एकत्रित हुए। पटना के राजेंद्र नगर स्थित उनके घर से गुलबी घाट तक मुक्ति रथ निकाला गया। इस यात्रा में शामिल सभी लोग भावुक नजर आए, और सभी ने नम आंखों से शारदा जी को विदाई दी। बिहार कोकिला के जाने से संगीत प्रेमियों में एक गहरी कमी महसूस हो रही है।
अंतिम इच्छा के मुताबिक हुआ अंतिम संस्कार
शारदा सिन्हा की अंतिम इच्छा थी कि उनके पति ब्रजकिशोर सिन्हा के साथ पटना के गुलबी घाट पर उनका भी अंतिम संस्कार हो। इसी इच्छा का सम्मान करते हुए उनके पार्थिव शरीर का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार हुआ। गुरुवार को पटना में आयोजित इस संस्कार में उनके चाहने वालों की बड़ी भीड़ उमड़ी। उनकी यादें और उनके गीतों की गूंज हमेशा उनके प्रशंसकों के दिलों में रहेगी।
कुछ समय से कैंसर से जूझ रही थीं
शारदा सिन्हा ने 5 नवंबर को दिल्ली के एम्स में अपनी अंतिम सांस ली। पिछले कुछ समय से वो कैंसर से जूझ रही थीं। जिंदगी के आखिरी पलों में भी गायिकी को लेकर उनका जुनून कायम था। एम्स अस्पताल में भी उन्होंने अपना आखिरी छठ गीत 'दुखवा मिटाईं छठी मइया' रिलीज किया। उनकी यह गीतों के प्रति निष्ठा और समर्पण सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
सीएम नीतीश कुमार ने दी श्रद्धांजलि
बुधवार को शारदा सिन्हा को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने श्रद्धांजलि दी थी। साथ ही भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शारदा सिन्हा के निधन को अपूरणीय क्षति बताया। संगीत और कला जगत के बड़े-बड़े नामों ने भी उनके निधन पर शोक व्यक्त किया और उनके योगदान को सराहा।
करियर की शुरुआत मैथिली गानों से की
सुपौल जिले में जन्मीं शारदा सिन्हा ने अपने करियर की शुरुआत मैथिली गानों से की थी। भोजपुरी, मैथिली, हिंदी और मगही में उनके गाए गीतों ने लोगों के दिलों में खास जगह बनाई। सलमान खान की फिल्म 'हम आपके हैं कौन' का मशहूर 'बाबुल' गीत हो या 'मैंने प्यार किया' का 'कहे तोसे सजना', उनके गीतों ने सदैव श्रोताओं का मन मोह लिया। उनके जाने से संगीत की दुनिया में एक युग का अंत हो गया है, लेकिन उनके गीतों की विरासत हमेशा जीवित रहेगी।