BPSC paper leak: सुप्रीम कोर्ट ने बीपीएससी पेपर लीक मामले पर सुनवाई से किया इनकार, कहा- हाई कोर्ट जाओ
BPSC paper leak: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (7 जनवरी) को 70वीं बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की प्रारंभिक परीक्षा की पेपर लीक के मामले में दायर याचिका को खारिज कर दिया।;

BPSC paper leak: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (7 जनवरी) को 70वीं बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की प्रारंभिक परीक्षा में हुई कथित अनियमितताओं और पेपर लीक के मामले में दायर याचिका को खारिज कर दिया। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार तथा केवी विश्वनाथन की बेंच ने याचिकाकर्ता को पटना हाईकोर्ट में अपनी शिकायत दर्ज कराने का सुझाव दिया।
पहले हाई कोर्ट जाना होगा
याचिकाकर्ता आनंद लीगल एड फोरम ट्रस्ट के वकील ने अदालत में कहा कि पूरे देश ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर बिहार पुलिस की बर्बरता देखी, जो बीपीएससी परीक्षा रद्द करने की मांग कर रहे थे। इस पर बेंच ने कहा, "हम आपकी भावनाएं समझते हैं, लेकिन हम पहली सुनवाई के लिए सही जगह नहीं हैं। पटना हाईकोर्ट में आर्टिकल 226 के तहत याचिका दायर करना ज्यादा उचित और तेज प्रक्रिया होगी।"
प्रशांत किशोर को गिरफ्तार किया गया था
बीपीएससी अभ्यर्थियों की मांग का समर्थन में उतरे जनसुराज के मुखिया प्रशांत किशोर ने 2 जनवरी से अनशन शुरू किया था। वो पटना के गांधी मैदान में अभ्यर्थियों के साथ बैठे हुए थे। पटना पुलिस लगातार उन्हें समझाने की कोशिश कर रही थी और गांधी मैदान को खाली करने का निर्देश दिया। लेकिन किशोर ने पुलिस की बात मानने से इनकार कर दिया। जिसके बाद पटना पुलिस ने सोमवार (6 जनवरी) को सुबह करीब 4 बजे प्रशांत किशोर को गिरफ्तार कर लिया।
हालांकि, सोमवार को ही कोर्ट ने प्रशांत किशोर को जमानत दे दी। जेल से बाहर आने के बाद उन्होंने कहा कि जनता की ताकत से बड़ी कोई ताकत नहीं होती। किशोर ने बताया कि पुलिस के पास उन्हें जेल में रखने के लिए कोई दस्तावेज नहीं था।
बीपीएससी अभ्यर्थियों की क्या है मांग?
छात्रों ने 13 दिसंबर, 2024 को आयोजित BPSC प्रारंभिक परीक्षा को लेकर कई आरोप लगाए हैं। उम्मीदवारों का कहना है कि पेपर लीक हुई है। वे इस परीक्षा को रद्द करने और दोबारा एग्जाम कराने की मांग कर रहे हैं।
क्या है आगे का रास्ता?
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि छात्रों और याचिकाकर्ताओं को अब पटना हाईकोर्ट का रुख करना होगा। पटना हाईकोर्ट में आर्टिकल 226 के तहत याचिका दायर कर इस मामले में न्याय की मांग की जा सकती है।