रायपुर। प्रदेश के करीब 50 लाख घरेलू उपभोक्ताओं के लिए तो यह बड़ी राहत की बात है कि उनको नए सत्र में महंगी बिजली का झटका नहीं लगेगा, लेकिन बाकी वर्ग को महंगी बिजली का करंट जरूर लगना तय है। पॉवर कंपनी ने बिजली नियामक आयोग को जो लेखा-जोखा भेजा है, उसमें उसको नए सत्र में 36 सौ करोड़ का फायदा तो हो रहा है लेकिन पुराना घाटा 7775 करोड़ का होने के कारण कंपनी ने आयोग को घरेलू उपभोक्ताओं को छोड़कर बाकी वर्ग में घाटे की पूर्ति के लिए टैरिफ बढ़ाने की मांग रखी है।
ऐसे में तय है कि बाकी वर्ग के लिए नए सत्र में बिजली महंगी हो जाएगी। अब नियामक आयोग अंतर की जो राशि मंजूर करेगा, उसके हिसाब से ही टैरिफ में बदलाव होगा।हर साल के टैरिफ के लिए छत्तीसगढ़ राज्य पॉवर वितरण कंपनी बिजली नियामक आयोग को दिसंबर में अपना लेखा-जोखा भेजती है, लेकिन इस पर समय पर याचिका नहीं लग सकी। ऐसे में पॉवर कंपनी को याचिका के लिए नोटिस जारी कर दिया गया था। ऐसे में पॉवर कंपनी ने पहले ऑनलाइन और इसके बाद ऑफलाइन अपनी याचिका लगा दी है।
कमाई से ज्यादा घाटा
पॉवर कंपनी ने 2024-25 के लिए जो याचिका लगाई है, उसमें पॉवर कंपनी ने जहां अपना खर्च 18 हजार करोड़ बताया है, वहीं कमाई 21600 करोड़ बताई है। ऐसे में 36 सौ करोड़ का फायदा हो रहा है, लेकिन सबसे बड़ी समस्या यह है कि पुराना घाटा बहुत ज्यादा है। जहां पहले का घाटा करीब 4850 करोड़ का है, वहीं पिछले सत्र में बताया गया 2925 करोड़ का भी घाटा है। कुल मिलाकर 7775 करोड़ का घाटा है। इसमें 36 सौ करोड़ की कमाई को कम करने के बाद भी 4175 करोड़ बच रहे हैं। इसमें ब्याज को जोड़ने के बाद करीब 4400 करोड़ की कमी हो रही है।
आयोग तय करेगा टैरिफ
आयोग के पास याचिका लगने के बाद अब आयोग पहले वितरण कंपनी के साथ ही उत्पादन और ट्रांसमिशन कंपनी का भी पूरा लेखा- जोखा देखने के बाद तय करेगा कि कंपनी को वास्तव में खर्च के लिए कितने राजस्व की जरूरत है और उसको वास्तव में बिजली बेचने के कितना राजस्व मिलेगा। इसी के साथ पुराना घाटा कम करने के बाद वास्तव में उसकी पूर्ति के लिए कितने अतिरिक्त राजस्व की जरूरत पड़ेगी। इसके बाद जनसुनवाई होगी और फिर नया टैरिफ तय होगा। इसमें आयोग अंतर की राशि की पूर्ति के लिए तय करेगा किस वर्ग के टैरिफ में कितना इजाफा होगा। आयोग पुराने घाटे को एक के स्थान पर इससे ज्यादा बार में भी पूरा करने का फैसला कर सकता है। ऐसा होने से टैरिफ में कम इजाफा होगा।