रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के कोटा में बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री की हनुमंत कथा चल रही है। हिंदू राष्ट्र और धर्मांतरण सहित कई मुद्दे को लेकर खुलकर उन्होंने अपनी बात रखी। बुधवार को मिडिया से बातचीत करते हुए आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि, छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण की वजह लोलुप्ता से भरी सरकार और दिशाहीन लोग हैं।

आचार्य धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने चंद्रखुरी का नाम बदलने का सीएम को प्रस्ताव देते हुए कहा कि, चंदखुरी का नाम कौशल्या धाम रखा जायेगा। तो फिर मैं जरूर जशपुर कथा करने जाऊंगा। कथा कर बस्तर और जशपुर इलाक़े में कथा करके धर्मांतरण को रोकने का प्रयास किया जाएगा। शादी कब करने वाले सवाल पर धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि, बहुत जल्द हम भी घोड़ी पर बैठने वाले हैं।

जाति की नहीं गरीबों की गणना होनी चाहिए 

जातिगत गणना के मुद्दे पर बिना नाम लेते हुए कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि, जातिवाद की गणना नहीं होनी चाहिए। गरीब और परेशान कितने हैं इसकी गणना होनी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि, यदि चादर चढ़ाना चमत्कार है... कैंडल जलाना चमत्कार है.... लेकिन मैं तो दिव्य दरबार करता हूं और हनुमान चालीसा पढ़ता हूं तो इन लोगों के पेट में दर्द क्यों हो रहा है। हम बहुत जल्दी बस्तर भी जाएंगे, हम कट्टर सनातनी थे हैं और रहेंगे। आचार्य  धीरेंद्र शास्त्री ने आगे कहा कि, मंदिरों को मत तोड़ो यदि तोड़ना ही है तो जो एशिया के दूसरे नंबर का है उसे तोड़ो। उल्लेखनीय है कि, जशपुर जिले में एशिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च है।

सीएम विष्णुदेव साय भी हुए थे कथा में शामिल 

आपको बता दें कि, कल सूबे के सीएम विष्णुदेव साय उनकी कथा में शामिल हुए थे। उन्होंने कहा कि, छत्तीसगढ़ के भांचा भगवान राम अयोध्या में कई वर्षों तक टेंट में रहने के बाद विराट मंदिर में विराजित हुए। इसकी खुशी छत्तीसगढ़ समेत देश और दुनिया के लोगों ने मनाई। दूसरी खुशी आज इस बात की है कि भगवान राम के ननिहाल माता कौशल्या की धरती में बागेश्वर सरकार का पदार्पण हुआ। अयोध्या में रामलला के विराजमान होने से छत्तीसगढ़ वालों के लिए ज्यादा खुशी की बात रही, क्योंकि भगवान राम हमारे छत्तीसगढ़ के भांजे हैं।

दो महीनों तक चलेगा भंडारा 

श्री साय ने आगे कहा कि, छत्तीसगढ़ धान का कटोरा कहलाता है। हजारों किस्म का सुंगंधित चावल यहां मिलता है। साथ ही ये भी बताया कि, छत्तीसगढ़ से 3 हजार क्विंटल चावल और सब्जी भी भेजे गए, जिसका भोग रामलला को लगा। यहां से सैकड़ों डॉक्टर भी भक्तों की सेवा के लिए रामलला गए। कल फिर एक ग्रुप को रवाना कर रहे हैं, जो आने वाले दो महीनों तक भंडारा चलाएंगे।