रायपुर। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ शनिवार को सीएम विष्णुदेव साय के साथ इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के 38वां स्थापना दिवस कार्यक्रम में पहुंचे। इस मौके पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि, विकसित भारत 2047 हमारा सपना नहीं बल्कि लक्ष्य है और हम इस लक्ष्य की ओर तीव्रता बढ़ रहे हैं। बीते कुछ वर्षों में हमारी सोच में काफी बदलाव आया है। आज का भारत जिस विकास के साथ आगे जा रहा है, आज हम हर क्षेत्र में हम वर्ल्ड लीडर हैं। 

वृक्षारोपण करते हुए 

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने संबोधन में आगे कहा कि, आज सबसे अधिक डिजिटल ट्रांजेक्शन हमारे भारत में होते हैं। भारतीयता हमारी पहचान है और हमें इस पर गर्व है। आप यदि असफल होने के डर से किसी चीज को आगे नहीं बढ़ाएंगे तो आपका नुकसान कम और देश का नुकसान ज्यादा है। आज कृषि में जितने स्टार्टअप की संभावना है, आप उसका इस्तेमाल करें। सभी बड़े-बड़े उद्योग आज ऐसा ही कर रहे हैं।

उपराष्ट्रपति ने किया विभिन्न स्टालों का निरीक्षण 

धान की क्वालिटी चेक करते हुए 

कृषि विश्वविद्यालय परिसर में उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़, राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने मौल श्री का पौधा रोपण किया। श्री धनखड़ ने कृषि स्टार्ट अप, बायोटेक और कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा लगाए गए विभिन्न स्टालों का निरीक्षण किया। छत्तीसगढ़ के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में धान की एक किस्म तैयार की गई है जो कैंसर में भी फायदेमंद है। इस बात का दावा करने वाले इंदिरा गांधी कृषि विश्विवद्यालय के वैज्ञानिकों ने किया है। धान की इस किस्म को संजीवनी नाम दिया गया है। 

स्तन कैंसर पीड़ितों के इलाज में उपयोगी 

संजीवनी धान इम्यूनिटी बढ़ाने के साथ स्तन कैंसर पीड़ितों के इलाज में भी मददगार है। विश्वविद्यालय प्रबंधन ने भाभा अटॉमिक रिसर्च सेंटर, मुंबई की मदद से छह साल में इस किस्म को तैयार किया है। आम जनता तक पहुंचाने के लिए विश्वविद्यालय प्रबंधन ने इसके लिए तीन प्रोडक्ट भी तैयार किए हैं।

ब्राउन राइस से बना संजीवनी इंस्टेंट

1. इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय ने संजीवनी इंस्टेंट नाम से प्रोडक्ट बनाया जो ब्राउन राइस है।
2.संजीवनी धान से तैयार एक प्रोडक्ट का नाम विश्विवद्यालय प्रबंधन ने संजीवनी इंस्टेंट रखा है। इस प्रोडक्ट की खासियत है, कि यह इम्यूनिटी को बढ़ाता है। . इसे एक पात्र में दो चम्मच (8-10 ग्राम) ब्राउन चावल लें। इसे 30 मिलीलीटर गुनगुने पानी में डालकर 10 मिनट के लिए ढंककर छोड़ दें। पानी को छानकर अलग कर लें। चावल में दो चम्मच शहद मिलाकर सुबह-सुबह (नाश्ते से पहले) खाएं।

शहद से बना संजीवनी मधु कल्क

1. संजीवनी कल्क नाम से दूसरा प्रोडक्ट है जो एक तरह का शहद है।
2. संजीवनी प्रोडक्टर से तैयार दूसरे प्रोडक्ट को विश्वविद्यालय प्रबंधन ने संजीवन मधु कल्क नाम दिया है। इसे प्रोसेसिंग प्रक्रिया के साथ ब्राउन चावल पाउडर को शहद के साथ मिलाकर बनाया जाता है। इसे दिन में एक चम्मच सुबह-सुबह (नाश्ते से पहले) खाएं।

धान से बना संजीवनी बार

1. धान का तीसरा प्रोडक्ट बार (चिक्की) के रूप में है। जिसे कई चीज के साथ मिलाकर बनाया गया है।
2. संजीवनी प्रोडक्टर से तैयार तीसरे प्रोडक्ट को विश्वविद्यालय प्रबंधन ने संजीवनी राइस बार नाम दिया है। संजीवनी ब्राउन राइस, अलसी, कद्दू के बीज, चना, सूरजमुखी के बीज और खजूर से तैयार किया गया है। अच्छे लाभ के लिए नाश्ते से पहले हर दिन एक बार खाना चाहिए।

प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है लायचा किस्म 

बातचीत के दौरान कृषि विश्वविद्यालय में अनुसंधान विभाग के प्रभारी डॉ. विवेक त्रिपाठी ने बताया कि, बस्तर अंचल में उत्पादित होने वाली धान की किस्म लायचा से संजीवनी किस्म को बनाया गया है। डॉ. त्रिपाठी के अनुसार धान की किस्म संजीवनी शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सक्षम है। इस किस्म का 10 दिन सेवन करने से कैंसर पीड़ित व्यक्ति के शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती देखी गई है। यह किस्म भाभा अटॉमिक रिसर्च सेन्टर, मुंबई के सहयोग से विकसित की गई है।

विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने किया शोध

जानकारी देते हुए कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने बताया कि, रिसर्च के अनुसार संजीवनी चावल कैंसर कोशिका और मानव कोलोरेक्टल कैंसर कोशिका का शक्तिशाली अवरोधक है। इसके रिजल्ट की पुष्टि के लिए इसका प्रयोग स्तन कैंसर कोशिका के साथ चूहों पर किया गया। अध्ययन में संजीवनी ब्राउन राइस के सेवन से चूहों में स्तन कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि रुक गई। केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान लखनऊ और टाटा मेमोरियल मुंबई की ओर से स्वतंत्र अध्ययन भी किया गया है। इसमें संजीवनी चावल में प्रारंभिक तौर पर मानव स्तन कैंसर कोशिका के विरुद्ध कैंसर अवरोधी गुण देखे गए हैं।