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वन्यजीव प्रेमी ने आरोप लगाया है कि, पांच चौसिंगा की मौत के बाद केवल दो का पोस्टमार्टम किया गया है। शेष तीन को जला दिया गया है। 

रायपुर। जंगल सफारी में 17 चौसिंगा की मौत मामले की वन्यजीव प्रेमी ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय तथा वनमंत्री केदार कश्यप से उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। गौरतलब है, जंगल सफारी में चौसिंगा का  अज्ञात बीमारी से मौत की घटना को हरिभूमि ने प्रमुखता के साथ वेबसाइट में लगाई थी। इसके बाद विभागीय अफसर हरकत में आए। घटना की जानकारी मिलने पर वन्यजीव प्रेमी भी दोषियों के खिलाफ कार्रवाई कराने सक्रिय हो गए हैं। जांच प्रभावित न हो, इसके लिए पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ को अवकाश में भेजने के साथ डॉक्टर के निलंबन की मांग की है।

वन्यजीव प्रेमी नितिन सिंघवी ने आरोप लगाया है कि, 25 नवंबर को पांच चौसिंगा की मौत के बाद सफारी के सीनियर डॉक्टर तथा सहायक संचालक ने सफारी के डायरेक्टर को घटना की जानकारी नहीं दी। साथ ही वन्यजीव प्रेमी ने डॉक्टर तथा सह संचालक पर मामले को रफा दफा करने की कोशिश करने का आरोप लगाया है।

वन्यजीव की मौत के बाद सैर पर जाने का आरोप

वन्यजीव प्रेमी के मुताबिक, 25 नवंबर को चौसिंगा की मौत होने के बाद 26 नवंबर को संबंधित डॉक्टर गोवा की सैर करने के लिए चले गए। डॉक्टर के अवकाश की अर्जी सफारी के डायरेक्टर ने अस्वीकृत कर दी थी। बावजूद इसके डॉक्टर पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ से आवेदन स्वीकृत कराकर अवकाश पर चले गए। डॉक्टर ने इसकी जानकारी सफारी के डायरेक्टर तक को नहीं दी, जबकि अवकाश स्वीकृत होने के बाद डॉक्टर को डायरेक्टर को जानकारी देनी थी।

 पांच काले हिरण, तीन नीलगाय की मौत

वन्यजीव प्रेमी के मुताबिक, सफारी में चौसिंगा की मौत किस्तों में हुई है। इसी दौरान पांच काले हिरणों की मौत के साथ तीन नील गाय की मौत होने की बात वन्यजीव प्रेमी कह रहे हैं। वन्यजीव प्रेमी ने आरोप लगाया है कि पांच चौसिंगा की मौत के बाद केवल दो का पोस्टमार्टम किया गया है। शेष तीन को जला दिया गया है। गौरतलब है कि चौसिंगा शेड्यूल-1 प्रजाति का वन्यजीव है, इसलिए जितने भी चौसिंगा की मौत हुई है, उन सभी का पोस्टमार्टम कर सफारी के डायरेक्टर को 24 घंटे के भीतर पीएम रिपोर्ट की जानकारी देना अनिवार्य है। डॉक्टर पर आरोप लग रहे हैं कि घटना के बाद से लेकर अब तक डायरेक्टर को पीएम रिपोर्ट नहीं सौंपी गई है।

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