'उल्लास' कार्यक्रम : असाक्षरों को साक्षर बनाने चलेगा अभियान, घर-घर जाकर किया जा रहा है सर्वे

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में उल्लेखित उल्लास नवभारत साक्षरता कार्यक्रम के तहत सर्वे किया जा रहा है। शिक्षक - शिक्षिकाएं घर-घर जाकर जानकारी जुटा रही हैं।  ;

Update: 2024-07-15 10:21 GMT
Teachers doing the survey
सर्वे करते हुए शिक्षक-शिक्षिकाएं
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बेमेतरा। छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले में नवभारत साक्षरता कार्यक्रम के तहत सर्वे किया जा रहा है। यह सर्वे कार्य हाईस्कूल केशतरा की प्राचार्य नेमेश्वरी साहू, पूर्व माध्यमिक शाला के प्रधान पाठक पवन कुमार साहू, और प्राथमिक विद्यालय के प्रधान पाठक गणेश्वर ठाकुर, सीमा चक्रधारी के द्वारा जानकारी जुटाने के लिए घर-घर जा रहे हैं। 

इस 'उल्लास' कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य है कि, स्कूली शिक्षा से वंचित असाक्षरों को पढ़ा लिखा कर साक्षर बनाना है। जिसके लिए पास के ही स्कूल को साक्षर केंद्र बनाया गया है। जिसमें स्कूल समय के अतिरिक्त समय में स्वयंसेवी शिक्षक असाक्षरों को साक्षर ज्ञान कराएंगे। जिसके लिए ग्राम और वार्डों में 15 साल से ऊपर के असाक्षरों को लिया जाएगा।

शिक्षा के प्रति बढ़ाएंगे ‘उल्लास’ 

प्राचार्य नेमेश्वरी साहू ने बताया कि, इस योजना का उद्देश्य न केवल आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान प्रदान करना है। बल्कि 21वीं सदी के नागरिकों के लिए आवश्यक अन्य घटकों को भी शामिल करना है। जैसे महत्वपूर्ण जीवन कौशल, स्वास्थ्य देखभाल, और जागरूकता। इसका महत्व यह है कि साक्षर, लोगों को सशक्त और स्वतंत्र बनाती हैं। शिक्षा के अधिकार के हिस्से के रूप में इसके महत्व से परे, साक्षरता क्षमताओं का विस्तार करके जीवन को बेहतर बनाती हैं जो बदले में गरीबी को कम करती हैं। श्रम बाजार में भागीदारी बढ़ाती है स्वास्थ्य और सतत विकास पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। 

न्यू इंडिया लिटरेसी प्रोग्राम क्या है जाने 

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सिफारिशों के अनुसार, भारत सरकार ने 2022-2027 तक पाँच साल की अवधि के लिए न्यू इंडिया लिटरेसी प्रोग्राम नामक एक केंद्र प्रायोजित योजना शुरू की है, जिसे लोकप्रिय रूप से 'उल्लास' (समाज में सभी के लिए आजीवन सीखने की समझ) के रूप में जाना जाता है। इस योजना का प्राथमिक उद्देश्य 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के सभी वयस्कों को सशक्त बनाना है, जिन्हें खुद को शिक्षित करने का अवसर नहीं मिला है, और उन्हें देश के विकास में योगदान करने में सक्षम बनाना है।यह न केवल शिक्षार्थियों को पढ़ने, लिखने और अंकगणित कौशल हासिल करने की अनुमति देता है, बल्कि आजीवन सीखने को प्रोत्साहित करते हुए उन्हें महत्वपूर्ण जीवन कौशल की समझ से समृद्ध भी करता है। इस योजना को स्वैच्छिकता, सामाजिक जिम्मेदारी और कर्तव्यबोध की भावना को बढ़ावा देने के माध्यम से लागू किया जा रहा है।

शिक्षा सभी के लिए सुलभ बनाने का प्रयास 

पूर्व माध्यमिक शाला के प्रधान पाठक पवन कुमार साहू ने बताया कि, यह योजना साक्षरता कार्यक्रम से कहीं बढ़कर है, यह एक आंदोलन है। एक उज्ज्वल भविष्य और सशक्त नागरिकों की ओर एक अभियान है। यह मानता है कि साक्षरता एक मौलिक मानव अधिकार है और इस अधिकार को सभी के लिए सुलभ बनाने का प्रयास करता है। इस यात्रा पर निकलने वाले शिक्षार्थी न केवल पढ़ना और लिखना सीखते हैं बल्कि अपने जीवन, अपनी आजीविका और अपने समुदायों में महत्वपूर्ण बदलाव लाने में भी सक्षम होते हैं। पढ़ा गया प्रत्येक शब्द, गणना की गई प्रत्येक संख्या और समझा गया प्रत्येक विचार उन्हें उनके सपनों के एक कदम करीब लाता है और भविष्य में भी ऐसा करना जारी रखेगा।

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