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सूरजपुर जिले के दूरस्थ पहाड़ी और वनांचल क्षेत्रों में पिछले 108 सालों से चार दिन पहले ही होली मनाने की परंपरा चली आ रही है। इस साल भी 11 मार्च से यहां होली मनाना शुरू हो गया है।  

नौशाद अहमद - सूरजपुर। छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले के दूरस्थ पहाड़ी और वनांचल क्षेत्रों में पिछले 108 वर्षों से होली के चार दिन पहले ही होली मनाई जाती है। हर साल की तरह इस साल भी मोहली गांव में 11 मार्च से ही होली खेलना शुरू हो गया है। पूरे गांव में उत्साह के साथ हर आयु वर्ग के लोगों ने एक-दूसरे को अबीर- गुलाल लगाकर होली पर्व मानते है।  

देशभर में 13 मार्च को होलिका दहन और 14 मार्च को होली मनाया जाएगा। वहीं सूरजपुर जिले के आखरी छोर चांदनी-बिहारपुर के ग्राम पंचायत महुली में 1917 से चार दिन पहले होली मनाने की परंपरा चली आ रही है। यहां के लोगों ने चार दिन पहले ही 11-मार्च को ग्रामीणों ने एक-दूसरे को रंग अबीर लगाकर होली खेल लिए हैं।

संकट का रहता है भय 

ग्राम पंचायत महुली में होली त्योहार को पहले ही मनाने की धार्मिक मान्यता से जुड़ी परंपरा है। जिसे इस गाँव के पूर्वजों ने सालों पहले दी है। यहां लोगों में ऐसी मान्यता प्रचलित है कि, यदि चार दिन पहले होली नहीं खेला गया तो संकट आने की संभावना बनी रहती है। साथ ही गाँव में बीमारी का भी भय बना रहता है। इसलिए ग्रामीण इस परंपरा को निभाने में किसी प्रकार की चूक नहीं करते हैं। 

Celebrating Holi
होली मनाते हुए ग्रामीण

मां अष्टभुजी देवी से जुड़ी हैं मान्यताएं 

चार दिन पहले ही होली मना लेने के पीछे की मान्यता गढ़वतिया पहाड़ पर विराजीं मां अष्टभुजी देवी से जुड़ी हुई है। गांव के बुजुर्गों ने बताया कि, वर्षों पहले रियासत काल के समय होली से चार दिन पहले ही गढ़वतिया पहाड़ पर खुद से आग लग गई थी। तभी से धार्मिक मान्यता के रुप में होलिका दहन मानकर अगले दिन होली मनाने की परंपरा तब से चली आ रही है। 

maa ashthbhuji devi
मां अष्टभुजी देवी

मंगलवार आने तक जारी रहती है होली 

गाँव के बैगा एश कवर ने बताया कि, होलिका दहन के बाद जब तक अगला मंगलवार नहीं पड़ता गाँव में होली जारी रहती है। वहीं इस बार भी ग्रमीणों ने 11 मार्च को होलिका दहन किया। अगले मंगलवार आने तक होली खेलते रहेंगे, इसमें गांव के सभी लोग शामिल होते है ।

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