पंकज भदौरिया- दंतेवाड़ा। छत्तीसगढ़ का बस्तर जिला प्राकृतिक सौंदर्य, समृद्ध आदिवासी संस्कृति और जटिल इतिहास के लिए प्रसिद्ध है। कभी विद्रोह की चुनौतियों से जूझता हुआ यह क्षेत्र अब परिवर्तन और विकास के पथ पर अग्रसर है। यह परिवर्तन भारत के सबसे बड़े लौह अयस्क उत्पादक एनएमडीसी के कारण संभव हो सका है। 1958 में इसकी स्थापना और 1968 में बैलाडीला, छत्तीसगढ़ में प्रचालन शुरू होने के बाद एक निर्जन क्षेत्र से भारत के सर्वोच्च लौह अयस्क उत्पादक राज्य में परिवर्तित करते हुए एनएमडीसी ने इस को एक नई पहचान दिलाई है।
इस साल एनएमडीसी अपनी स्थापना का 66 वां वर्ष मना रहा है। कंपनी बस्तर के सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य और छत्तीसगढ़ की पहचान को परिवर्तित करने में अपने महत्वपूर्ण प्रभाव को दर्शाती है।
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छत्तीसगढ़ बना भारत का सर्वोच्च लौह अयस्क उत्पादक राज्य
बैलाडीला से दंतेवाड़ा और जगदलपुर के लिए एनएमडीसी आशा और विकास का प्रतीक रहा है। इसके दो खनन केंद्र, बचेली और किरंदुल कॉम्प्लेक्स, न केवल लौह अयस्क उत्पादन को बढ़ाने में महत्वपूर्ण रहें हैं, बल्कि बुनियादी ढांचे के विकास, रोजगार सृजन और सामुदायिक कल्याण कार्यक्रमों के जरिए क्षेत्र के आर्थिक उन्नति में भी सहयोगी रहें हैं । बचेली और किरंदुल ने अपने संयुक्त उत्पादन से छत्तीसगढ़ को भारत के सर्वोच्च लौह अयस्क उत्पादक राज्य के रूप में पहचान दिलाई है।
एनएमडीसी ने दिया करोड़ों रुपयों का योगदान
लंबे समय से रॉयल्टी, कर और शुल्क के माध्यम से एनएमडीसी ने योगदान दिया है, जो कि पिछले छह सालों में कुल मिलाकर लगभग रू.20,000 करोड़ है। इसने लोक सेवाओं, बुनियादी परियोजनाओं और कल्याण कार्यक्रमों के लिए आवश्यक वित्तीय सहायता प्रदान की है, जिससे इस क्षेत्र के अनेक रहवासियों और समुदायों को फायदा पहुंचा है। स्थानीय समुदायों के उत्थान के लिए एनएमडीसी ने पिछले दस सालों में विविध सीएसआर गतिविधियों के तहत केवल छत्तीसगढ़ में लगभग रू.1,400 करोड़ का निवेश किया है, जिसके जरिए शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचे के विकास और समुदाय सशक्तिकरण पर बल दिया गया है।
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सबसे प्रभावशाली योगदान शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में
एनएमडीसी का एक सबसे प्रभावशाली योगदान शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में है । कंपनी की पहल से 5,000 से ज्यादा लोगों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला और बीस हजार से ज्यादा लोगों के लिए रोजगार के अप्रत्यक्ष अवसर सृजित हुए हैं, जिससे की बस्तर क्षेत्र के अनगिनत परिवारों को सहायता मिली है। बड़ी संख्या में स्कूल ड्रॉपआउट की चुनौती को देखते हुए एनएमडीसी ने अपनी शिक्षा सुधार कार्यक्रम प्रारंभ किया, जिससे 4,367 बच्चों को लाभ मिला है। इसमें 2027 बालिकाएँ शामिल हैँ। शिक्षा सहयोग जैसी पहल के माध्यम से एनएमडीसी हर साल 18,000 से ज्यादा विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति प्रदान करता है।
एनएमडीसी की प्रतिबद्धता खनन से कहीं अधिक विस्तृत है- अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक
श्री अमिताभ मुखर्जी, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक (अतिरिक्त प्रभार) ने बस्तर के विकास की सराहना करते हुए कहा, "एनएमडीसी की छत्तीसगढ़ की छह दशकों से अधिक की यात्रा को याद करते हुए मैं अपने कर्मचारियों के अटूट समर्पण और स्थानीय, विशेषकर बस्तर के समुदायों से सदैव प्राप्त समर्थन के लिए हृदय से आभारी हूं। एनएमडीसी की प्रतिबद्धता खनन से कहीं अधिक विस्तृत है। यह क्षेत्र की प्रगति में दृढ्ता के साथ भागीदार होने की प्रतिबद्धता है। यह सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता है कि, बस्तर के विकास के साथ-साथ उसकी समृद्ध विरासत और संस्कृति फलती-फूलती रहे। हम राष्ट्रीय उद्देश्य के लिए पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध हैं, इस क्षेत्र की अनूठी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करते हुए इसके सामाजिक-आर्थिक उत्थान में योगदान देने के राष्ट्र के संकल्प के प्रति गम्भीरता से जुडे हुए हैं। हम सब मिलकर छत्तीसगढ़ और अपने राष्ट्र के भविष्य को अधिक सुदृढ और समृद्ध बनाएंगे।