रायपुर। छत्तीसगढ़ में हुए शराब घोटाला की जांच में ईडी एक के बाद एक छापे मारती आ रही है। लेकिन ईडी वजह सबूत हासिल नहीं कर पाई जिससे कोर्ट में आरोप साबित किया जा सके। वह सबूत था नकली होलोग्राम जिसे एसीबी ने दो दिन पहले अनवर ढ़ेबर के खेत की खोदाई करके निकाला है।
कानून के जानकारों का कहना है कि, होलोग्राम को आरोप साबित करने के लिए अहम साक्ष्य यह हैं।अब तक की जांच में एसीबी ने 9 हजार पन्नों का पहला चार्जशीट दाखिल कर दिया है। वहीं सूत्रों की मानें तो एसीबी अभी 2 से 3 पूरक चार्जशीट और दाखिल कर सकती है। अंतिम चार्जशीट में बड़ा खुलासा होने का दावा किया जा रह है।
ऐसे काम करता था पूरा रैकेट
दरसअल, शराब घोटाला में सरकारी खजाने को 2 हजार करोड़ रुपये से अधिक का चूना लगा है। ईडी की जांच में इसकी कुछ पर्तें खुली थीं, अब ईओडब्ल्यू-एसीबी की जांच में पूरी तस्वीर साफ हो गई है। ईओडब्ल्यू-एसीबी ने इस मामले में रायपुर की विशेष कोर्ट में चालान पेश कर दिया है। इसमें जांच एजेंसी ने इस घोटाला की पूरी कहानी बताई है। चार्जशीट के जरिये ईओडब्ल्यू-एसीबी ने कोर्ट को बताया है कि शराब घोटाला की साजिश कब रची गई। शराब से होने वाली काली कमाई कहां एकत्र होती थी और किन लोगों के बीच बंटती थी। शराब से काली कमाई की तलाश में सबसे पहले 2019 में बैठक हुई। इस बैठक को अनवर ढेबर ने अपने जेल रोड स्थित अपने होटल वेनिंगटन में आयोजित किया था। इस होटल को भी ईडी ने अटैच कर रखा है। बहरहाल 2019 में हुई बैठक में शराब निर्माताओं के साथ राज्य के आबकारी विभाग के अफसर शामिल हुए थे।
अनवर के वेनिंगटन होटल में इकट्ठी की जाती थी शराब की काली कमाई
ईओडब्ल्यू-एसीबी की चार्जशीट के अनुसार इस बैठक में छत्तीसगढ़ डिस्टलरी की ओर से नवीन केडिया, भाटिया वाइंस प्राइवेट लिमिटेड से भूपेंदर पाल सिंह भाटिया तथा प्रिंस भाटिया, वेलकम डिस्टलरीज की ओर से राजेंद्र जायसवाल उर्फ चुन्नू तथा हीरालाल जायसवाल के साथ ही नवीन केडिया के संपर्क अधिकारी संजय फतेहपुरिया उपस्थित हुए थे। इनके साथ अरुणपत्ति त्रिपाठी और उनके करीबी शराब कारोबारी अरविंद सिंह भी मौजूद थे। इस बैठक के बाद शराब का खेल शुरू हुआ। ईओडब्ल्यू-एसीबी की चार्जशीट के अनुसार शराब की पूरी काली कमाई होटल वेनिंगटन में इकट्ठा होता था और वहीं से सभी हिस्सा पहुंचाया जाता था।
नकली होलोग्राम लगा कर बेची जाती थी शराब
शराब घोटाला का असली खेल नकली होलोग्राम के साथ शुरू हुआ। जांच एजेंसी के सूत्रों की मानें तो शराब की काली में कमाई कम हो रही थी हल्ली ज्यादा हो रहा था। ऐसे में नकली होलोग्राम के साथ शराब बेचने का फैसला किया गया। नकली होलोग्राम का इस्तेमाल शुरू होने के बाद शराब की एक पेटी पर कमाई बढ़कर सीधे 2880 रुपये हो गई। नकली होलोग्राम का प्लान तैयार करने के बाद फिर एक बैठक हुई। इसमें डिस्टलरियों से देशी शराब सीधे दुकान तक पहुंचाने की व्यवस्था बनाई गई। यानी सरकारी शराब दुकानों से अवैध रुप से अन अकाउंटेड शराब बेचने की व्यवस्था बना दी गई। डिस्टलरी से निकलने वाली शराब की बोतलों पर सिंडिकेट की तरफ से उपलब्ध कराया गया नकली होलोग्राम लगा दिया जाता था। यह नकली होलोग्राम एपी त्रिपाठी के के माध्यम से नेएडा के विधु गुप्ता ने तैयार किया। अतिरिक्त शराब के लिए बाटलिंग की व्यवस्था करने अरविंद सिंह का भतीजा अमित सिंह और उसके सहयोगियों को ठेका दिया गया।
75 से बढाकर सौ रुपए तक वसूला जाता था कमीशन
एजेंसी ने चार्जशीट में बताया है कि, वर्ष 2019-20 में शराब में प्रति पेटी 75 रुपए कमीशन देना तय हुआ। बाद रकम 100 रुपए कर दी गई। शराब निर्माता कंपनियों कमीशन देने में नुकसान न हो इस बात का भी ध्यान रखा गया, इसके लिए हर बार नए टेंडर में शराब की कीमतों में उतने ही अनुपात (लोडिंग प्राइज) में वृद्धि की गई। जिसका भुगतान शराब निर्माता कंपनी, सिंडेकेट को नगद या अनवर ढ़ेबर और त्रिलोक सिंह दिल्लन के बनाए गए फर्म में जमा किया जाता था।
15 जिलों में खपाई जाती थी अन अकाउंटेड शराब
वही शराब निर्माण करने के लिए उपयोग में आने वाले रॉ मटेरियल, कनकी चावल की आपूर्ति में ओवर बिलिंग के माध्यम से करते थे। अन अकाउंटेड शराब खपाने के लिए 15 जिलों का चयन किया गया। अन अकाउंटेड शराब को खाने के लिए एपी त्रिपाठी ने जिला आबकारी अधिकारियों की बैठक बुलाई। बैठक में आबकारी अफसरों को अन अकाउंटेड शराब खजने सुफ्वाइजर के साथ को अर्डिनेटर को प्रशिक्षण दिया गया। इसके अलावा अब अकाउंटेड शराब की रकम कलेक्शन करने को जिम्मेदारी अरविंद सिंह और विकास अग्रवाल को दिया गया।