संतोष कश्यप- अंबिकापुर। छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में एक पीड़ित परिवार मुआवजा के लिए दर- दर भटकने को मजबूर है। यहां के एक परिवार के दो सदस्यों की बारह साल पहले ट्रैक्टर हादसे में मौत हो गई थी। हैरानी की बात है की मौत के इतने साल बीत जाने के बाद भी परिवार को मुआवजा नहीं मिला है। इस बीच सरकारें बदली जिले में प्रशासनिक अधिकारी भी बदले लेकिन किसी ने गरीब परिवार की सुध लेना उचित नही समझा है।
सरगुजा जिले में पिछले 12 सालों के भीतर पांच से अधिक कलेक्टर बदल गए लेकिन इसके बाद भी परिवार के दो कमाऊ सदस्यों की मौत पर पीड़ित परिवार वालों को मुआवजा नहीं दिला सके हैं। इस लापरवाही की वजह से हादसे में मारे गए परिवार के लोग मुआवजा के लिए दर-दर का चक्कर लगा रहे हैं। जबकि कोर्ट ने तहसीलदार को पहले ही आदेश दिया हुआ है कि, आरोपी की संपत्ति जब्त कर मुआवजा दिया जाए। लेकिन तहसीलदार की मिली भगत से आरोपी ने अपनी आधी संपत्ति कोर्ट के आदेश मिलने के साथ ही बेच दी है।
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यह है पूरा मामला
मामला सरगुजा जिले के ग्राम पोड़ी का है। जहां बारह साल पहले ट्रैक्टर हादसे में होमन साय और श्रीचंद की मौत हो गई थी। दोनों परिवार की कमाऊ सदस्य थे और ट्रैक्टर में काम कर रहे थे इसी दौरान ट्रैक्टर पलट गई और दोनों की मौत हो गई जब यह हादसा हुआ तब ट्रैक्टर का बीमा नहीं था ऐसे में मामला कोर्ट में गया और कोर्ट ने आदेश दिया कि ट्रैक्टर मालिक की संपत्ति जप्त कर दोनों के परिजनों को 5- 5 लाख का मुआवजा दिया जाए।
संपत्ति बेचकर मुआवजा दिलाने का है आदेश
जैसे ही ट्रैक्टर मालिक को पता चला कि कोर्ट ने ऐसा आदेश दिया है उसने अपनी संपत्ति ही बेच दिया। वहीं जो संपत्ति बचा है उसे तहसीलदार के ने जब्त तो कर लिया है। लेकिन अभी तक संपत्ति की नीलामी नहीं की है। ऐसी लापरवाही प्रशासनिक अफसरों पर कई सवाल खड़े करती है। कारण यही है की अब तक इसके चक्कर में पीड़ित परिवारों को पूरा मुआवजा का राशि नहीं मिल सका है और वह कलेक्टर से लेकर एसपी दफ्तर का चक्कर लगा रहे हैं।