रायपुर। छत्तीसगढ़ के 15 जिलों के राइस मिलरों ने अब तक अपने हिस्से का पूरा चावल एफसीआई और नागरिक आपूर्ति निगम (नान) में जमा नहीं किया है। राज्य सरकार ने इस मिलरों पर अब शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। बताया गया है कि सबसे अधिक 30 प्रतिशत चावल सेंट्रल पूल के लिए एफसीआई में जमा नहीं हो पाया है। वहीं नागरिक आपूर्ति निगम में अब तक 95 प्रतिशत चावल जमा हो चुका है। अब सरकार ने राज्य के सभी कलेक्टरों को इन मिलरों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।

छत्तीसगढ़ में इस समय जहां धान की नई फसल पककर कटाई की स्थिति में आ रही है, वहीं राज्य सरकार 14 नवंबर से धान खरीदी की तैयारी में है। लेकिन पिछले सीजन ने जिन मिलरों ने धान की मिलिंग के लिए सरकार से अनुबंध किया था और समय पर चावल तैयार कर जमा करने की जिम्मेदारी ली थी, वही मिलर पिछले सीजन का पूरा चावल अब तक जमा नहीं कर पाए हैं। राज्य भर में 3 हजार 27 मिलरों ने पिछले साल सरकार से मिलिंग के लिए साढ़े पांच हजार से अधिक अनुबंध किए थे। ये अभी प्रभावी हैं।

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स्टेक अलाट होने के बाद भी चावल जमा नहीं

मार्कफेड के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार एफसीआई को चावल जमा करने में कमी हुई है। राज्य के कुल मिलरों में से ऐसे जिन्हे एफसीआई में चावल जमा करना है, उनमें से 30 प्रतिशत मिलरों ने चावल नहीं जमा कराया है। कुछ समय पहले तक एफसीआई मिलरों  का चावल लेने के पहले रेलवे से स्टेक प्राप्त करती थी, स्टेक की  कमी के कारण कई बार मिलर चावल जमा कराने में देरी करते थे। लेकिन इस समय स्थिति ये है कि मिलरों को स्टेक अलॉट है। क्योंकि अब एप के माध्यम से अलाटमेंट हो रहा है। इसके बावजूद मिलर चावल नहीं जमा करा रहे है। शासन के निर्देश पर ऐसे मिलरों के खिलाफ संबंधित जिला प्रशासन को कार्रवाई करने कहा गया है।

मिलरों पर कार्रवाई गलत - 3 हजार करोड़ का भुगतान नहीं

इस मामले को लेकर रायपुर कृषि मंडी के पूर्व सदस्य विजय शर्मा का कहना है कि मिलरों पर कार्रवाई गलत है। पहले तो मिलरों को समय पर स्टेक उपलब्ध नहीं कराए गए। अब धान पुराना होने के कारण चावल बनाने में मुश्किल हो गई है। धान पाखड हो गया है। नया धान आने पर मिलर चावल बनाकर देंगे। दूसरी और बड़ी बात ये है कि राज्य के राइस मिलरों का दो साल से कस्टम मिलिंग का तीन हजार करोड़ रुपयों का भुगतान नहीं किया गया है। मिलर पहले ही काफी परेशान है। भिलाई में शुक्रवार को लघु उद्योग भारती के कार्यक्रम में भी मिलरों के बकाया भुगतान का मामला गंभीरता से उठाया गया है।