रायपुर। सालभर में प्रदेश को टीबी मुक्त करने चलाए जा रहे अभियान के तहत नए मरीजों की पहचान के लिए स्वास्थ्य विभाग अब एआई सिस्टम का उपयोग करेगा। इसकी मदद से फेफड़े का एक्स-रे कर आधे मिनट में मरीजों को पहचान की जा सकेगी । योजना के मुताबिक स्वास्थ्य विभाग इसके लिए एआई तकनीक वाली दर्जनभर हैंड हेल्ड एक्स-रे मशीन खरीदेगा और चिन्हित अलग-अलग जिलों में भेजकर इसके माध्यम से संदिग्ध मरीजों की पहचान कर उन्हें आवश्यक उपचार सुविधा मुहैया कराई जाएगी।

 जानकारी के मुताबिक, अभी मरीजों की पहचान के लिए माइक्रोस्कोपी, सीबीनॉट और टू-नॉट मशीन का उपयोग किया जाता है, जिसकी रिपोर्ट आने में कुछ वक्त लगता है। इस एआई तकनीक की मदद से की जाने वाली जांच में अधिक वक्त नहीं लगेगा। एक मिनट से भी कम समय में फेफड़ों की संक्रमण की पहचान कर इसकी रिपोर्ट सामने आ जाएगी। अभी जांच के लिए मरीजों को स्वास्थ्य केंद्र अथवा अस्पताल तक जाने की आवश्यकता होती है, मगर इस जांच की शुरुआत के बाद स्वास्थ्य कर्मी लैपटॉप से जुड़ी इस तकनीक के साथ संदिग्ध मरीज तक पहुंचकर उनकी जांच करेंगे। संक्रमण की पुष्टि होने के बाद मरीजों के उपचार की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। अधिकारियों का तर्क है कि यह सुविधा शुरू होने के बाद राज्य में टीबी के मरीजों की पहचान के लिए होने वाली जांच की संख्या बढ़ जाएगी, क्योंकि इसमें अनावश्यक वक्त नहीं लगेगा। इस मशीन का उपयोग वहां पर बेहतर साबित होगा, जहां जांच से संबंधित सुविधाएं कम हैं और मरीजों को इसके लिए लंबा सफर तय करना पड़ता है।

रायपुर में दो हजार के करीब टीबी मरीज

सूत्रों के अनुसार रायपुर जिले में पंजीकृत टीबी मरीजों की संख्या दो हजार के करीब है। इन्हें उपचार के साथ अन्य तरह की सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। इसके अलावा दुर्ग में डेढ़ हजार और बिलासपुर में 11 सौ के करीब मरीज हैं। राज्य में इनकी संख्या पंद्रह हजार से अधिक है।

प्रशिक्षण भी

टीबी उन्मूलन कार्यक्रम  के नोडल अफसर डॉ. अजय शंकर कन्नौजे ने बताया कि,  एआई तकनीक वाली मशीन संचालित करने टीम को ट्रेनिंग दी जाएगी। इसके बाद उन्हें विभिन्न जिलों में भेजकर जांच कराई जाएगी।