करोड़ों का घोटाला : बहाल होने वाले अफसर एक बार फिर सुर्खियों में 

भ्रष्टाचार के आरोप में आलोक अग्रवाल जेल जा चुके हैं। उन पर फर्जी विकलांगता सर्टिफिकेट हासिल कर जमानत लेने तथा प्रमोशन पाने के आरोप हैं।;

Update: 2025-03-20 06:53 GMT
Water Resources Department, in-charge Executive Engineer Alok Agarwal, ACB and EOW, Money launderin
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रायपुर। भ्रष्टाचार के आरोप में जेल जा चुके जल संसाधन विभाग के तत्कालीन प्रभारी कार्यपालन अभियंता आलोक अग्रवाल के काले कारनामों का जिन्न एक बार फिर से बाहर आ गया है। तत्कालीन कांग्रेस सरकार पर दागी अफसर को बचाने के आरोप लग रहे हैं। एसीबी तथा ईओडब्लू के अफसरों ने एक दशक पूर्व आलोक अग्रवाल की 30 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त की थी। ईओडब्लू की कार्रवाई के बाद ईडी ने भी अफसर के खिलाफ मनी लांड्रिंग करने के आरोप में अपराध दर्ज किया और मामले की जांच कर रही है। भ्रष्टाचार के आरोप में आलोक अग्रवाल जेल जा चुके हैं। उन पर फर्जी विकलांगता सर्टिफिकेट हासिल कर जमानत लेने तथा प्रमोशन पाने के आरोप हैं।

आलोक अग्रवाल के खिलाफ ईओडब्ल्यू और एसीबी ने वर्ष 2014 में कार्रवाई कर प्रकरण दर्ज किया और 2015 में एक अन्य प्रकरण में धारा 109, 120 बी, 420,467, 468, 471 के अलावा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा में अपराध पंजीबद्ध किया था। इस मामले में बाद में ईडी ने भी अलग से प्रकरण दर्ज किया। लगभग चार साल से अधिक समय तक आलोक अग्रवाल जेल में बंद रहे। इसके बाद वर्ष 2018 में प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद उन्होंने जैसे तैसे ईओडब्लू, एसीबी के केस में जमानत हासिल की। लेकिन ईडी के शिकंजे में फंस गए। बाद में उन्हें ईडी के केस से भी कोर्ट से जमानत लेनी पड़ी। बहाली के बाद वर्तमान में आलोक अग्रवाल प्रमोशन लेकर ईएनसी ऑफिस में बोधी में प्रभारी अधीक्षण अभियंता के पद पर कार्यरत हैं।

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गलत जानकारी देकर बहाली 

आलोक अग्रवाल ने वर्ष 2021 में विभाग को गलत जानकारी देकर अपनी बहाली करवा ली। उन्होंने प्रमुख अभियंता जल संसाधन विभाग को लिखित में बताया कि उनकी कभी गिरफ्तारी नहीं हुई और न जेल गए थे। इस आवेदन में उन्होंने सिर्फ वर्ष 2014 के प्रकरण का उल्लेख किया, लेकिन वर्ष 2015 के प्रकरण की जानकारी नहीं दी। उनके आवेदन को प्रमुख अभियंता ने जस का तस शासन को भेज दिया और आलोक अग्रवाल की बहाली हो गई।

फर्जी विकलांगता प्रमाणपत्र देने के आरोप 

आलोक अग्रवाल पर आरोप है कि उसने हाईकोर्ट से जमानत पाने वर्ष 1991 के 40 प्रतिशत, 1997 का 45 प्रतिशत, 25 फरवरी 2014 का 60 प्रतिशत तथा 26 अप्रैल 2018 तथा एक सितंबर 2021 का 71 प्रतिशत विकलांगता सर्टिफिकेट हाईकोर्ट में पेश कर गलत जानकारी देकर कोर्ट से जमानत हासिल की।

 

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