इंटरव्यू के बाद भी नहीं मिले परफ्यूजनिस्ट और फिजिशियन : भर्ती मरीजों को बाईपास सर्जरी का इंतजार

रायपुर। इंटरव्यू में उम्मीदवार आने के बाद भी आंबेडकर अस्पताल के कार्डियक सर्जरी विभाग में परफ्यूजनिस्ट और फिजिशियन की भर्ती नहीं हो सकी है। इसकी वजह से विभाग में भर्ती दो मरीजों को बाईपास सर्जरी होने का इंतजार है। यहां ऑपरेशन के लिए सर्जन तो उपलब्ध हैं, मगर तकनीशियन नहीं होने की वजह से मरीजों की सर्जरी नहीं हो पा रही है। महीनेभर पहले छह पदों के लिए साक्षात्कार सफल हुआ था, मगर कार्डियक एनेस्थेटिस्ट नहीं पहुंचे थे।
जानकारी के अनुसार, नई सरकार द्वारा पुराने भर्ती नियम को स्वीकृति नहीं मिल पाई थी। साक्षात्कार होने के बाद कॉलेज प्रबंधन स्तर पर नियम स्वीकृत करने के लिए भेजा गया प्रस्ताव शासन स्तर पर लंबित है। आंबेडकर अस्पताल के कार्डियक सर्जरी विभाग में शुरुआती दिनों में एक-दो बाईपास वैकल्पिक व्यवस्था के साथ किए गए। इसके बाद परफ्यूजनिस्ट, फिजिशियन तथा कार्डियक एनेस्थेटिस्ट के पद पर नियमित भर्ती के लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा काफी कोशिश के बाद नियम बनाया गया था, मगर पूर्ववर्ती सरकार द्वारा रिक्त पदों पर भर्ती नहीं की जा सकी थी। नई सरकार द्वारा स्वीकृति के बाद दिसंबर में इनका इंटरव्यू हुआ, मगर अब तक भर्ती नहीं हो पाई है। इससे पीड़ित मरीजों पर प्रभाव पड़ने लगा है। दोनों पदों पर विशेषज्ञ मिलने की आस में बाईपास सर्जरी के लिए भर्ती दो मरीजों और डॉक्टरों का इंतजार खत्म नहीं हो पाया है।
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दर्जनभर का साक्षात्कार
20 दिसंबर को जीएनएम रायपुर में 200 से ज्यादा विभिन्न पदों पर भर्ती के लिए साक्षात्कार लिया गया था। इसमें फिजिशियन के 3 पदों के लिए 5 और परफ्यूजनिस्ट के तीन पदों के लिए सात लोग इंटरव्यू में शामिल हुए थे। कार्डियक एनेस्थेटिस्ट के 2 पदों पर किसी ने दावेदारी नहीं की थी। नए साल की शुरुआत के दौरान जल्द ही इन पदों पर नियुक्ति किए जाने के दावे किए गए थे, जिसके इंतजार में 20 दिन से ज्यादा का वक्त बीत चुका है।
हृदय रोगियों के लिए एकमात्र ठिकाना
हृदय रोग तथा नसों की समस्या से पीड़ित मरीजों के इलाज के लिए सरकारी स्तर पर आंबेडकर अस्पताल का एडवांस कार्डियक इंस्टिट्यूट एकमात्र ठिकाना है। यहां कार्डियोलॉजी विभाग और कार्डियक सर्जरी विभाग का संचालन किया जाता है। दोनों विभागों में कई दुर्लभ तरह की सर्जरी की जाती है, मगर मानव संसाधन सहित अन्य जरूरी सुविधाओं के अभाव में विभाग अपने उद्देश्य को पूरा नहीं कर पा रहा है।
30 मरीज के पीछे एक नर्स
यहां ओपन हार्ट सर्जरी शुरू हो चुकी है, मगर मानव संसाधन का अभाव निजी अस्पतालों से टक्कर लेने में रोड़ा बना हुआ है। नियम के मुताबिक, कार्डियक सर्जरी विभाग में एक मरीज के पीछे एक नर्सिंग स्टाफ होना चाहिए, मगर यहां 30 मरीजों की देखरेख की जिम्मेदारी एक नर्सिंग स्टाफ पर है। नियमित टेक्निशियन नहीं होने की वजह से कई बार मरीजों की ओपन हार्ट सर्जरी भी अगली तारीख पर टालनी पड़ती है।
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