मोनिका दुबे- रायपुर। छत्तीसगढ़ के पूर्व मंत्री शिव डहरिया की पत्नी शकुन डहरिया का एक सामुदायिक भवन पर कब्जा होने के मामले में दो दिन से नगर निगम में हंगामा मचा हुआ है। लेकिन इसी बीच पूर्व मंत्री डहरिया की पत्नी शकुन डहरिया को लेकर एक और बड़े मामले का खुलासा हुआ है। इससे पता चलता है कि, शकुन ने एक नहीं बल्कि दो जगहों पर कब्जा कर रखा था। पता चला है कि, EWS की लगभग 15 हजार फीट जमीन पर उन्होंने भवन और आलीशान गार्डन तान दिया है। 

 

इस नए खुलासे के बाद पूर्व मंत्री और उनकी पत्नी की मसीबतें बढ़ती दिखाई दे रही हैं। क्योंकि इस मामले में केवल EWS की लगभग 15 हजार फीट जमीन ही नहीं हड़पी गई बल्कि अटल आवास के मकानों को तोड़कर इसे बनाया गया है। इतना ही नहीं, भवन और गार्डन बनाने पर नगर निगम, स्मार्ट सिटी और सरकारी एजेंसियों का साढ़े 3 करोड़ रुपया खर्च किया गया है। 

उल्लेखनीय है कि, सरकारी आवास में महंगे इलेक्ट्रानिक सामान ले जाने के आरोपों के बाद पूर्व मंत्री शिव डहरिया अब पत्नी शकुन डहरिया की समिति द्वारा सामुदायिक भवन में कब्जे के विवाद में फंस गए हैं। सभापति प्रमोद दुबे ने इस मामले में निगम आयुक्त अबिनाश मिश्रा को इस मामले में समिति बनाकर 15 दिन में जांच कराने के निर्देश दिये हैं। नगर निगम की सामान्य सभा में प्रश्नकाल के दौरान नगर निगम की नेता प्रतिपक्ष मीनल चौबे ने गुरु घासीदास वार्ड के शताब्दि नगर कालोनी में नगर निगम के सामुदायिक भवन पर शकुन डहरिया की समिति का कब्जा होने का आरोप लगाया। दस्तावेजों के साथ नेता प्रतिपक्ष ने सदन में दहाड़ते हुए कहा, शकुन डहरिया ने राजश्री सद्भावना समिति के नाम से सामुदायिक भवन पर कब्जा कर रखा है। समिति की वो अध्यक्ष हैं, उनके लेटरपैड और उनके हस्ताक्षर के साथ जोन 10 के आयुक्त के नाम आवेदन किया गया था, जिसमें शताब्दि नगर में निर्मित सामुदायिक भवन का संचालन व हस्तांतरण करने की अनुमति मांगी गई थी। इस पर मेयर इन काउंसिल की 16 जून 2022 की हुई बैठक में प्रस्ताव रखा गया। इसे एमआईसी द्वारा पारित किया गया। 

नगर निगम का सामुदायिक भवन करा लिया अपनी समिति के नाम

मीनल चौबे ने सभापति प्रमोद दुबे से कहा कि, उनके पास इसके लिखित दस्तावेज उपलब्ध हैं। इसमें निगम सचिव के हस्ताक्षर के साथ राजश्री सद्भावना समिति को शताब्दि नगर में निर्मित नगर निगम के सामुदायिक भवन का हस्तांतरण किया गया है। उनके इस आरोप पर सदन में हंगामा हो गया। सदस्यों ने सवाल दागे ये शकुन कौन है? मीनल चौबे ने सदन को बताया, नगर निगम और स्मार्ट सिटी से भवन पर 1 करोड़ रुपए शानो शौकत में खर्च कर दिया। नगर निगम जोन 10 कमिश्नरी द्वारा सामुदायिक भवन के हस्तांतरण के बाद टेंडर कर अनुबंधित एजेंसी से 55 इंच साइज के 4 सोनी टीवी, 5 मॉडयूलर किचन, 4 वुडन टेबल, 4 प्लाईवुड का साइड टेबल, प्लास्टिक की 40 चेयर, 7 सोफासेट, 2 एक्जिक्यूटिव टेबल, 4 कम्प्यूटर टेबल, 2 वाशिंग मशीन, 4 सुजाता मिक्सचर मशीन, एलजी रेफ्रिजरेटर, वाटर कूलर की खरीदी की गई। उनके इस सवाल का एमआईसी सदस्य ज्ञानेश शर्मा सही जवाब नहीं दे पाए।

नेता प्रतिपक्ष के सवाल के बाद खुला मामला

बताते चलें, नगर निगम की सामान्य सभा के प्रश्नकाल में नेता प्रतिपक्ष ने प्रश्न किया था कि नगर निगम के सामुदायिक भवन में अधिकारिता किसकी रहती है, किसी भी संस्था को नगर निगम के पार्षदों की जानकारी के बिना क्या नगर निगम आवंटित कर सकता है? शताब्दि नगर के सामुदायिक भवन मामले में किस नियम के तहत एनजीओ को इसका आवंटन किया गया। जवाब में एमआईसी सदस्य ज्ञानेश शर्मा ने सदन को बताया, सामुदायिक भवन की अधिकारिता निगम के पास रहती है। उस भवन की चाबी जोन 10 के कमिश्नर के पास ही है। बिना पार्षदों की जानकारी के भवन का आवंटन होना गंभीर विषय है। उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी। सामुदायिक भवन के साजो-सज्जा में किसके कहने पर राशि खर्च की गई और किस मद में यह राशि खर्च हुई है, इसकी जांच कराएंगे।

सभापति ने कमिश्नर को दिए जांच कराने के निर्देश

सभापति प्रमोद दुबे ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सदन की आसंदी ने नगर निगम कमिश्नर को जांच कराने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा, निगम कमिश्नर महापौर से चर्चा कर जांच कमेटी बनाएं और 15 दिन के भीतर इसकी जांच करायें।

शिव डहरिया ने दी सफाई

पूर्व मंत्री शिव डहरिया की पत्नी शकुन डहरिया पर सामुदायिक भवन कब्जा का आरोप लगने के बाद इस पर अपनी सफाई देते हुए उन्होंने कहा है कि, ये एमआईसी से स्वीकृत हुआ है। महापौर के दस्तखत भी हुए हैं। सरकारी जमीन पर नहीं बनाया गया, जमीन सोसायटी की है। सोसायटी के जरिए समिति के पास दिया गया है, मुझे लगातार टारगेट किया जा रहा है।