रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 के बाद भाजपा सरकार ने प्रदेश में मुख्यमंत्री के साथ दो उप मुख्यमंत्री बनाए हैं। इसी तरह आंध्र प्रदेश में 5 डिप्टी सीएम बनाए गए हैं। इसी तरह देश के कुल 14 राज्यों में 26 उप मुख्यमंत्री कार्यरत हैं। एक राजनीतिक दल पब्लिक पॉलिटिकल पार्टी ने इसके लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका लगाई थी। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि, राज्यों में डिप्टी CM की नियुक्ति संविधान के खिलाफ नहीं है। सुप्रीम अदालत ने कहा- यह सिर्फ एक ओहदा है, जो वरिष्ठ नेताओं को दिया जाता है। इस पद पर नियुक्त व्यक्ति को कोई अतिरिक्त फायदा भी नहीं मिलता। 

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने सोमवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा- सरकार में पार्टियों के गठबंधन या अन्य वरिष्ठ नेताओं को अधिक महत्व देने के लिए यह प्रक्रिया अपनाई जाती है। बेंच ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि, डिप्टी CM की नियुक्ति को किसी भी तरह से असंवैधानिक नहीं कहा जा सकता। डिप्टी CM राज्य सरकार में पहला और सबसे अहम मंत्री होता है। 

पब्लिक पॉलिटिकल पार्टी ने लगाई थी याचिका

सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका पब्लिक पॉलिटिकल पार्टी ने लगाई थी। याचिका में दावा किया गया था कि संविधान में डिप्टी CM जैसा कोई पद नहीं है। यह संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) का उल्लंघन है। ऐसी नियुक्ति एक गलत उदाहरण पेश करती है। याचिका में इस बात का भी दावा किया गया था कि डिप्टी CM को मुख्यमंत्री की मदद के लिए नियुक्त किया जाता है। वह मुख्यमंत्री के बराबर होता है और उसे समान वेतन और सुविधाएं मिलती हैं।

देश के 14 राज्यों में 26 डिप्टी CM

देश के 14 राज्यों में 26 उपमुख्यमंत्री हैं। अकेले आंध्र प्रदेश में 5 डिप्टी CM हैं। वहीं छत्तीसगढ़ में भी दो डिप्टी सीएम बनाए गए हैं। याचिकाकर्ता ने कहा था कि, डिप्टी CM की नियुक्ति से जनता का कोई लेना-देना नहीं है और न ही इससे राज्य की जनता को कोई अतिरिक्त फायदा होता है।