प्रकाश ठाकुर-कांकेर। कांकेर वनमंडल में विवादों का सिलासिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। लगातार विभाग में कोई ना कोई विवाद विभाग को घेरे हुए है, चाहे भ्रष्टाचार का मामला हो या छेडछाड़ या फिर कर्मचारी और अधिकारियों के बीच चल रहे आपसी मनमुटाव जैसे कई मामले हैं। जिसकी वजह से कांकेर का वन विभाग इन दिनों विवादों से घिरा पड़ा है।
कांकेर वन मंडल में एक बाबू से परेशान होकर वन मंडल के 5 रेंजर मेडिकल लेकर छुट्टी पर चले गए हैं। दरअसल वह बाबू वन कर्मचारी लिपिक संघ का प्रदेश अध्यक्ष भी है। विभागीय कमर्चारियों की मुताबिक इसी नेतागिरी की आड़ में बाबू मनमर्जी करता रहता है। जिसके चलते डीएफओ कार्यलय में पदस्थ लेखा प्रभारी और वन मंडल के पांच रेंजरों के बीच आपस में तकरार देखने को मिल रही है। कांकेर वन मंडल में पांच रेंज कार्यालय है, जिसमें कांकेर, सरोना, नरहरपुर, कोरर, चारामा शामिल है। इन सभी जगहों के रेंजर मेडिकल लगाकर छुट्टी पर चले गए।
ये है ताजा विवाद
इसे लेकर गुरुवार को कांकेर में प्रदेश रेंजर संघ की बैठक भी रखी गई थी। बैठक के बाद रेंजर संघ ने सीसीएफ से मुलाकात कर लेखा प्रभारी बिरेंद्र नाग को डीएफओ कार्यलाय से 03 दिवस के भीतर हटाने की मांग की है। वरना प्रदेश भर के रेंजरों के अवकाश में जाने की चेतावनी दी है।
बेवजह रोके जा रहे वाउचर, चेक
कांकेर वन मंडल के लेखा प्रभारी बिरेंद्र नाग के द्वारा कांकेर वन मंडल के रेंजरों को जानबूझकर परेशान किया जा रहा है। रेंजरों के वाउचर चेक बिना कारण आपत्ति लगाकर वापस भेज दिए जाते हैं, जिससे रेंजर काम नहीं कर पा रहे हैं। यही नहीं लेखा प्रभारी के द्वारा डीएफओ आलोक वाजपायी को गलत जानकारी देकर गुमराह भी किया जा रहा है। इसी वजह से कांकेर वन मंडल के 5 रेंजर मेडिकल लेकर अवकाश पर चले गए हैं।
ऐसा ही चलता रहा तो होगा करोड़ों का नुकसान
ऐसे में अब देखना होगा कि एक रेंज के बाबू और रेंजरों की इस लड़ाई का वन विभाग पर क्या असर पड़ता है? यदि इस छोटी सी लड़ाई पर समय रहते शासन स्तर से कार्रवाई नहीं हुई और सारे रेंजर अवकाश पर चले गए तो वन विभाग को करोड़ों का नुकसान हो सकता है। दिलचस्प बात यह भी है कि जिस लेखा प्रभारी को हटाने की मांग हो रही है, वो वन कर्मचारी लिपिक संघ के प्रदेश अध्यक्ष भी है।