'एक देश एक चुनाव' पर संगोष्ठी : सोनचंद वर्मा स्मृति फाउंडेशन का आयोजन, चुनाव एक साथ कराने पर चर्चा

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बलौदा बाजार के ऑडिटोरियम में 'एक देश, एक चुनाव को लेकर संगोष्ठी का आयोजन हुआ। यह आयोजन सोनचंद वर्मा स्मृति फाउंडेशन द्वारा कराया गया। इस संगोष्ठी में चुनाव एक साथ कराए जाने को लेकर चर्चा हुई।

कुश अग्रवाल-बलौदाबाजार। छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार के ऑडिटोरियम में 'एक देश, एक चुनाव विषय पर संगोष्ठी का आयोजन सोनचंद वर्मा स्मृति फाउंडेशन द्वारा किया गया, जिसमें बलौदा बाजार विधायक और राजस्व मंत्री टंक राम वर्मा, प्रदेश उपाध्यक्ष शिवरतन शर्मा, वरिष्ठ वकील भूपेंद्र ठाकुर सहित कई बुद्धिजीवियों ने भाग लिया। पूर्व विधायक शिवरतन शर्मा ने कहा कि हमारा देश एक लोकतांत्रिक देश है। देश में बार-बार चुनाव होने से हमें कई प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है,क्योंकि चुनाव प्रक्रिया बहुत महंगी हो गई है और चुनावों को संपन्न कराने में समय एवं भारी धनराशि की बर्बादी होती है।

ऐसे में ‘एक देश-एक चुनाव’ का उद्देश्य संसाधनों की बचत करना है। वन नेशन, वन इलेक्शन के लागू होने से संसाधनों के साथ समय की भी बचत होगी, विकास तेजी से होगा। अलग-अलग तिथियों में चुनाव होने से व्यापार प्रभावित होता है और व्यापारी पर सीधे तौर पर आर्थिक चोट पड़ती है।

चुनाव अलग - अलग समय पर होने से सरकारी व्यय में वृध्दि - वकील भूपेंद्र ठाकुर

वरिष्ठ वकील भूपेंद्र ठाकुर ने कहा कि भारत में 1951-52 से 1967 तक राज्य विधानसभाओं और लोकसभा के लिए चुनाव एक साथ होते थे। यह चक्र टूट गया और वर्तमान में चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं। इसके कारण सरकारी व्यय में वृद्धि होती है और आदर्श आचार संहिता लागू होने के कारण विकास कार्यों में बाधा भी उत्पन्न होती है। संगोष्ठी में वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि 'एक देश, एक चुनाव' प्रणाली से न केवल समय और धन की बचत होगी, बल्कि विकास कार्यों में भी तेजी आएगी। इससे लोकतंत्र की मजबूती और शासन की स्थिरता में भी वृद्धि होगी।

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