गणेश मिश्रा/बीजापुर- छत्तीसगढ़ के बीजापुर में आदिवासी भवन में आयोजित एक प्रेस वार्ता के दौरान सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष और प्रतिनिधियों ने नक्सलियों के नाम पर तेलंगाना पुलिस पर दो निर्दोष आदिवासी युवतियों को गिरफ्तार कर बंधक बनाने का आरोप लगा है। वहीं दूसरी ओर आदिवासी समाज के अध्यक्ष अशोक तालंडी ने विधायक विक्रम शाह मांडवी और पूर्व मंत्री महेश गागड़ा पर भी गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि, उन्होंने आदिवासियों पर हो रहे प्रताड़ना के मामलों को लेकर ना पहले आवाज उठाई है और ना ही आज आवाज उठाई जा रही है।
आदिवासियों के मामले को दबाया जा रहा
अशोक तालंडी बताया कि, क्रॉस फायरिंग के नाम पर ही नहीं बल्कि नक्सलियों के नाम पर निर्दोष आदिवासियों को या तो मारा जा रहा है या तो पड़कर जेल भेज दिया जाता है। इसके बावजूद विक्रम शाह मांडवी और महेश गागड़ा खुद आदिवासी होने के बावजूद आदिवासियों के पक्ष में बोलने के वजह इन मामलों को दबाने की कोशिश करते हैं।
क्या है पूरा मामला
प्रेस वार्ता के दौरान सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष अशोक तालंडी ने जानकारी देते हुए बताया कि, 4 फरवरी को बीजापुर जिले के पदमुर गांव की दो युवतियां शांति गोंदे और लकी तेलम अपने साथियों के साथ मिर्ची तोड़ने के लिए तेलंगाना गई हुई थी। इसके बाद 16 फरवरी को तेलंगाना पुलिस ने उन पर नक्सली होने का आरोप लगाते हुए गिरफ्तार कर लिया और जिसकी सूचना ना तो परिजनों को दी गई है और ना ही उन्हें इतने दिन होने के बावजूद जेल भेजा गया है। बल्कि दोनों यूवतियों को तेलंगाना पुलिस ने बंधक बनाकर रखा है। जबकि दोनों यूवतियां जिले में रोजगार नहीं मिलने के चलते बीजापुर से पलायन कर रोजगार की तलाश में तेलंगाना गई हुई थी।
परिजनों को सौंपने की गुहार लगाई
अशोक तालंडी ने बताया कि, उनके परिजन अपने बच्चियों की तलाश में दर-दर भटक रहे हैं। इसके बाद समाज का एक प्रतिनिधिमंडल बीजापुर के एसपी और कलेक्टर से मिलकर दोनों बच्चियों को निशर्त रिहा करने या तेलंगाना से छुड़ाकर बीजापुर लाकर उनके परिजनों को सौंपने की गुहार लगा रहे हैं। तो वहीं दूसरी ओर तेलंगाना पुलिस पर कटाक्ष करते हुए अशोक तालण्डी ने कहा कि, छत्तीसगढ़ में नक्सली बस्तर के नहीं, बल्कि तेलंगाना के लीडर राज कर रहे हैं। अगर पकड़ना है तो तेलंगाना पुलिस उन नक्सलियों को पकड़े ना कि नक्सलियों के नाम पर बस्तर के निर्दोष आदिवासियों को गिरफ्तार किया जाए। ऐसी घटनाओं का समाज पुरजोर विरोध और निंदा करता है।