सूख रहा बस्तर का ‘मिनी नियाग्रा’ : जलधारा कम होने से मायूस लौट रहे पयर्टक, चरमरा रही स्थानीय अर्थव्यवस्था

जीवानंद हलधर- जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में स्थित विश्वप्रसिद्ध चित्रकोट जलप्रपात, जिसे भारत का 'मिनी नियाग्रा' कहा जाता है इन दिनों अपने अस्तित्व के संकट से जूझ रहा है। गर्मी की शुरुआत में ही जलप्रपात की धारा लगभग समाप्त हो चुकी है। इस वजह से दूर-दराज से इसे देखने आने वाले पर्यटक भी मायूस होकर लौट रहे हैं।
बस्तर जिले में विश्वप्रसिद्ध चित्रकोट जलप्रपात को देखने आने वाले पर्यटक हो रहे मायूस। @BastarDistrict #Chhattisgarh pic.twitter.com/3Ar0J9Vj4b
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प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाने वाला यह जलप्रपात अब वीरानी ओढ़े हुए है। जहां हर मौसम में पर्यटकों की भीड़ उमड़ती थी, आज वहां सन्नाटा पसरने लगा है। जलप्रपात की यह स्थिति न केवल पर्यटकों को निराश कर रही है, बल्कि स्थानीय दुकानदारों की आजीविका पर भी संकट बन गई है। एक पर्यटक जिनका नाम खिलेश्वर है, उन्होंने बताया कि, नजारा तो बहुत सुन्दर है पर गर्मी के कारण पानी कम है। जल ही नहीं है तो झरना कैसा।
पर्यटकों से गुलजार रहने वाला चित्रकोट जलप्रपात के पास व्यापार करने वाले दुकानदार भी परेशान हैं। @BastarDistrict #Chhattisgarh pic.twitter.com/WxRti7meRh
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स्थानीय अर्थव्यवस्था भी हो रही प्रभावित
वहीं लक्ष्मी बोरे (दुकानदार), जो वर्षों से जलप्रपात के पास दुकान चला रही हैं, कहती हैं, 'पर्यटक नहीं आ रहे, बिक्री बिल्कुल बंद हो गई है। हम प्रशासन से गुजारिश कर रहे हैं कि जलप्रपात में पानी छोड़ा जाए, वरना हमें दुकानें बंद करनी पड़ेंगी।'
मिनी नियाग्रा कहे जाने वाला चित्रकोट वाटरफॉल लापरवाही के चलते गायब होने की स्थिति में आ गया है। @BastarDistrict #Chhattisgarh pic.twitter.com/XWjEu2lSPi
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एनीकटों में भी पानी नहीं
स्थानीय लोगों के अनुसार, चित्रकोट जलप्रपात को जीवन देने वाली इंद्रावती नदी की धारा इन दिनों गंभीर संकट में है। बताया जा रहा है कि, ओडिशा सीमा में बने बांध और एनीकटों में पानी न होने के चलते नदी का बहाव रुक गया है। इसके चलते न सिर्फ जलप्रपात सूख रहा है, बल्कि पूरे क्षेत्र का प्राकृतिक संतुलन भी खतरे में है। स्थानीय लोगों के अनुसार, चित्रकोट जलप्रपात को जीवन देने वाली इंद्रवती नदी की धारा इन दिनों गंभीर संकट में है। स्थिति और अधिक गंभीर हो सकती है, क्योंकि आने वाले दिनों में गर्मी और बढ़ने वाली है। यदि जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो चित्रकोट पूरी तरह सूख सकता है और यह केवल पर्यटन ही नहीं, बस्तर की सांस्कृतिक पहचान के लिए भी एक बड़ा झटका होगा।
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