अक्षय साहू/राजनांदगांव- लोगों को सस्ते दाम पर चावल उपलब्ध कराने के लिए केंद्र सरकार ने भारत ब्रांड चावल योजना शुरू की थी। इस योजना के तहत देशभर में लोगों को 29 रुपए किलो की दर से चावल दिया जाना था। इसके लिए टेंडर देकर वेंडरों के माध्यम से सप्लाई होना था। लेकिन मुनाफाखोरी के चक्कर में चावल आमजन तक पहुंचने से पहले ही राइस मिलों में डंप होता हुआ दिखाई दिया है। राजनांदगांव जिले के कोटे का करीब अस्सी करोड़ रूपए का चावल गोंदिया, धमतरी जैसे करीबन आधा दर्जन जिलों की राईस मिलर ने उठा लिया है। यहीं नहीं पूरे प्रदेशभर में इस तरह के गोरखधंधे को अंजाम दिए जाने की भी शिकायत सामने आई है।
उल्लेखनीय है कि, भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड कृषि उपज के लिए विपणन सहकारी समितियां से संबंधित है। यह कृषि और बाकी वस्तुओं के सहकारी संस्थाओं और सहयोगियों की व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा देने और विपणन के लिए कार्यरत है। कृषि उत्पादों को आउटलेट्स में प्रस्तुत किया जाता है। नाफेड ने इन दिनों उपभोक्ताओं को भारत ब्रांड के नाम पर भारत दाल, चावल और आटा उपलब्ध कराया जा रहा है।
सी-मार्ट के माध्यम मिल रहा है
सूत्रों की माने तो राजनांदगांव में विक्रेताओं के माध्यम से शहर और आसपास के क्षेत्र में भारत चावल 29 रुपए किलों की दर पर 10 किलो की बोरी मिलती है और 290 रुपए की भारत दाल 60 रुपए प्रति किलो की दर पर पांच किलो की बोरी मिलती है। 300 रुपए वाला भारत आटा साढ़े 27 रुपये की किलो की दर से पांच किलो की पैकिंग में 137 रुपए 50 पैसे में विक्रय किया जाना है। राजनांदगांव शहर में उपभोक्ताओं को केवल भारत आटा सी-मार्ट के माध्यम से मिलता है, लेकिन चावल उपलब्ध नहीं हो पा रहा है।
कहां उठ गया पूरा चावल
मिली जानकारी के अनुसार, राजनांदगांव जिले के कोटे में करीबन 29 हजार मीट्रिक टन चावल का एलॉटमेंट किया गया था। इसके विरुद्ध अब तक लगभग चावल का उठाव राईस मिलर द्वारा कर लिया गया है। अब एफसीआई के भंडार गृह में महज 50 क्विंटल चावल ही शेष रह गया है। लेकिन बाजार में आम जनता को यह चावल नहीं मिला और सीधे राईस मिलों तक पहुंचा दिया।
इन जिलों में पहुंचा चावल
राजनांदगांव जिले के कोटे में आया चावल यहां से दूसरे शहरों तक पहुंच गया है। राजनांदगांव कोटे के इस चावल को गोंदिया, सूरजपुर, धमतरी, रायपुर, बिलासपुर और दुर्ग जैसे शहर के राइस मिलर की तरफ से उठाया गया है। इस मामले में सही जांच की गई तो बड़ा खेल सामने आने की संभावना है।
पैकिंग के लिए जाना था
केंद्र की योजना के अनुसार चावल का टेंडर कर वेंडर नियुक्त किए गए। इन वेंडरों ने भंडार गृह से चावल का उठाव कर राईस मिलर की मदद से 10 किलो की पैकिंग करना था। इस चावल को लोगों को 29 रुपए किलो में बिक्री करना था। खरीददार ग्राहकों से मोबाइल नंबर के साथ ही आधार कार्ड भी लिया जाना है। लेकिन इस पूरे नियम को अनदेखा कर चावल को आम लोगों की जगह राइस मिलरों को दे दिया गया।