रायपुर। राजधानी रायपुर के भाठागांव स्थित चारागाह की 63 एकड़ जमीन के दस्तावेजों में हेराफेरी कर बिल्डर को बेचे जाने के मामले में लीपापोती किए जाने की आशंका बनी हुई है, क्योंकि जमीन को बिल्डर के कब्जे से छुड़ाकर वापस किसानों के नाम पर वापस चढ़ाने करने के लिए जो प्रक्रिया तहसील कार्यालय अपना रहा है, उससे इस मामले में बड़ पेंच फंसने के आसार हैं। 

यह मामला क्षेत्र के तहसीलदार की जगह अब एसडीएम रायपुर देख रहे हैं। भाठागांव के ग्रामीणों ने बताया कि तहसीलदार ने पहले उन्हें आश्वासन दिया था कि जितने किसानों के नाम पर यह जमीन थी, उन सभी के नाम पुनः जोड़े जाएंगे, लेकिन अब एसडीएम द्वारा यह कहा जा रहा है कि रिकार्ड में पूर्व में दर्ज किसानों के वंशावलियों के नाम जोड़े जाएंगे। इसके लिए आवेदन के साथ उन्हें शपथपत्र पेश करना होगा।

कछुए गति से जारी जांच-सुनवाई

63 एकड़ जमीन के मामले की जांच एसडीएम रायपुर द्वारा की जा रही है। इस मामले में एसडीएम कोर्ट में केस भी लगा हुआ है। सूत्रों के अनुसार इस केस पर सुनवाई पिछले 6 महीने में सिर्फ एक-दो बार ही हो पाई है, जिसके कारण यह मामला अब ठंडे बस्ते में जाते दिखाई दे रहा है, जबकि इस मामले को लेकर पूरा गांव आंदोलन कर चुका है। इस आंदोलन के दौरान गांव में एक दिन व्यापार भी बंद था। ग्रामीणों ने जमीन को बिल्डर के कब्जे से मुक्त कराकर ऑनलाइन रिकार्ड में वापस चारागाह की जमीन दर्ज कर हटाए गए सभी किसानों के नाम वापस जोड़ने जाने की मांग की गई थी। ग्रामीणों के इस आंदोलन के बाद भी इस मामले की जांच व सुनवाई धीमी गति से की जा रही है।

4 किसानों ने दस्तावेजों में हेराफेरी कर कराई थी जमीन अपने नाम

भाठागांव की 63 एकड़ चारागाह की जमीन 173 किसानों के नाम पर दर्ज थी। जमीन के रिकार्ड में सबसे ऊपर चार किसानों के नाम दर्ज थे, वहीं अन्य किसानों के नाम वगैरा करके दर्ज किए गए थे। जिन चार किसानों के नाम ऊपर दर्ज थे, उन सभी ने पैसों के लालच में आकर जमीन के रिकार्ड (दस्तावेजों) में हेराफेरी कर जमीन को अपने नाम पर करा ली थी। इसके बाद सभी ने जमीन का सौदा एक बिल्डर से किया था, जिसके बदले बिल्डर को जमीन की पावर ऑफ अटॉर्नी दी थी। इधर पावर ऑफ अटॉर्नी मिलते ही बिल्डर ने इस जमीन पर काम शुरू कर दिया था, जिसकी जानकारी मिलने के बाद से पूरा गांव इसके विरोध में है।

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तहसीलदार-पटवारी की साठगांठ भी उजागर

जिस तरह से जमीन के रिकार्ड में हेराफेरी की गई है, उससे यह साबित होता है कि इसके पीछे तहसीलदार और पटवारी का भी हाथ है, क्योंकि इन दोनों के बिना जमीन के रिकार्ड को बदला जाना मुमकिन नहीं है। हालांकि तहसील में सिर्फ इसी मामले की जांच व सुनवाई की जा रही है कि चारागाह की जमीन कितने किसानों के नाम पर दर्ज थी तथा रिकार्ड में कैसे उन किसानों या उनके वंशावलियों के नाम वापस दर्ज किए जाएं। इस मामले में अब तक संबंधित पटवारी और तहसीलदार से कोई पूछताछ नहीं की गई है कि आखिर रिकार्ड कैसे बदल गए। 

अरबों की जमीन का 6 करोड़ में सौदा

स्वामी आत्मानंद बिन्नी बाई सोनकर स्कूल से लगी 63 एकड़ जमीन का सौदा करीब 6 करोड़ में हुआ था, जबकि जमीन की वास्तविक कीमत 3 से 4 अरब बताई जा रही है।

जांच-सुनवाई की जा रही

एसडीएम रायपुर नंदकुमार चौबे ने बताया कि,  इस मामले की जांच की जा रही है। कोर्ट में केस लगा हुआ है, जिस पर एक-दो सुनवाई हो चुकी है। जांच व सुनवाई पूरी होने तक इस मामले में कुछ भी बता नहीं पाऊंगा।