जंगल के असली योद्धा : सेटेलाइट की मदद, आधुनिक टेक्निक वाली मशीने आसान बना रही आग पर काबू पाना

बस्तर के सघन वनों को गर्मी के दिनों में आग से बचाना विभाग के लिए बड़ी चुनौती होती है। लेकिन अेक्नालाजी के माध्यम से अब इस चुनौती पर वन विभाग आसानी से विजय पाने लगा है।;

By :  Ck Shukla
Update: 2025-04-08 08:22 GMT
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जंगल में लगी आग को बुझाते हुए वनकर्मी
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गणेश मिश्रा- बीजापुर। वनों को आग से बचाने के स्लोगन आपने अक्सर दीवारों पर लिखे देखे होंगे, पढ़े होंगे। परंतु इसे हकीकत में बदलने वाले योद्धाओं को अपने कभी ना तो देखा होगा ना ही सुना होगा। आज हम आपको इस रिपोर्ट में उन योद्धाओं की मेहनत से जुड़ी वो तस्वीरें दिखाएंगे जो चुनौतियों के बीच जाकर जलते वनों को बचाने के लिए डटे हुए हैं।

जब जंगल जल रहा हो तब वे ये भी नहीं सोचते हैं कि, जंगलों में नक्सलियों का खौफ हो सकता है या नक्सलियों के लगाए आईडी और स्पाइक होल का वे शिकार हो सकते हैं। वे बस बहादुरी के साथ जंगलों को बचाने निकल पड़ते हैं। 

महुआ बीनने और शिकार के लिए आगे लगाने की परंपरा
इंद्रावती रिजर्व फारेस्ट के डिप्टी डायरेक्टर संदीप बल्गा बताते हैं कि, अति नक्सल प्रभावित पहुँच विहीन क्षेत्र नेशनल पार्क में पहाड़ एवं दुर्गम रास्तों की वजह से जंगल में लगी आग की जगह तक पहुंच पाना मुश्किल होता है। इन इलाकों में ग्रामीणों में जागरूकता में कमी और महुआ बीनने, शिकार (आखेट) पारंपरिक तौर पर आग लगाने का चलन है। ग्रामीणों को जागरुकता कार्यक्रमों के द्वारा एवं नुक्कड़ नाटक के माध्यम से, समय-समय पर आग नहीं लगाने के लिए समझाया जाता है।

सेटेलाइट से पता चल जाता है, कहां लगी है आग
वन विभाग वनों में लगी आग को चिन्हांकित करने या उसका पता लगाने के लिए किसी ग्रामीण के शिकायत का इंतजार नहीं करता, बल्कि अब सीधे सेटेलाइट से कनेक्ट हो चुका है। सेटेलाइट के माध्यम से वन विभाग के अफ़सर इस बात का पता लगाते हैं कि, जिले में किस जंगल में और किस दिशा में आग लगी है। उसके आधार पर अधिकारी उस इलाके में तैनात वनरक्षक और फायर वाचर्स को इसकी सूचना देते हैं, जिसके बाद जंगल में लगी आग को बुझाने के लिए विभाग द्वारा दिए गए मशीन के जरिए वे उस जगह तक पहुंचते हैं और आग को बुझाने में सफल हो पाते हैं।

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