रायपुर। पैर दर्द के मरीज का बीजू कार्ड के माध्यम से छाती का ऑपरेशन करने वाले निजी अस्पताल के खिलाफ ओडिशा स्वास्थ्य विभाग की नोडल एजेंसी ने जांच शुरू कर दी है। रिपोर्ट में अगर गंभीर लापरवाही पाई जाती है तो उसे योजना से बर्खास्त भी किया जा सकता है। पिछले दिनों राजधानी के शंकरा हॉस्पिटल में बीजू कार्ड के हितग्राही की इलाज के दौरान मौत और परिजनों द्वारा लगाए गए गंभीर आरोप के आधार पर इस स्वास्थ्य योजना की निगरानी करने वाली ओडिशा स्वास्थ्य विभाग की नोडल एजेंसी ने अपनी जांच शुरू कर दी है।
अधिकारियों का दावा है कि, अगर पैर के दर्द वाले मरीज की छाती का ऑपरेशन करने का आरोप सही पाया जाता है, तो संबंधित अस्पताल को योजना से बर्खास्त करने की कार्रवाई की जाएगी। उस दौरान अस्पताल में इलाज के लिए लाए गए अन्य मरीजों से भी फीडबैक लिया जाएगा। अस्पताल में 16 जून को सीमा क्षेत्र से लगे ओडिशा के गांव से छह मरीजों को इलाज के लिए लाया गया था। इसमें गेंदलाल सोनी नामक मरीज की इलाज के दौरान मौत हो गई थी। मौत के बाद परिजनों का गुस्सा भड़क गया था और नौबत मारपीट तक पहुंच गई थी। परिजनों की शिकायत पर पुलिस ने दो डाक्टरों के खिलाफ मारपीट का अपराध भी दर्ज किया था।
मरीज ढोने की शिकायतों पर भी जांच
बीकेएसवाय के नोडल अफसर का कहना है कि, छत्तीसगढ़ के अस्पतालों में योजना के हितग्राही मरीजों को अच्छा उपचार देने ढोकर ले जाने की शिकायत भी उन तक पहले भी पहुंची है। इस मामले में भी विभागीय स्तर पर जांच की जा रही है। निजी अस्पताल के एजेंट वाहन लेकर सीमा से लगे ओडिशा के गांव में बीजू कार्ड और छत्तीसगढ़ के गांव में आयुष्मान योजना के हितग्राहियों की तलाश में भटकते रहे हैं।
पिछले साल दो बर्खास्त
जानकारी के अनुसार बीजू स्वास्थ्य कार्यक्रम योजना के तहत हितग्राहियों के इलाज के लिए राज्य के करीब साठ अस्पताल इंपैनल्ड सूची में शामिल हैं। इनमें 47 रायपुर जिले से संबंधित हैं। पिछले साल दो अस्पतालों को इसी तरह की गड़बड़ी की वजह से योजना से बर्खास्त किया गया था। वहीं करीब आठ अस्पताल को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। इन अस्पतालों पर कार्रवाई अभी विचाराधीन है।
जांच की जा रही
ओडिशा के नोडल अफसर बीएसकेवाय के डॉ. प्रमोद गिरी ने बताया कि,मरीज की मौत के मामले को संज्ञान में लेकर इन्वेस्टीगेशन शुरू किया गया है। पहले भी आला अधिकारियों द्वारा कुछ अस्पतालों पर कार्रवाई की गई थी। स्वास्थ्य योजना को लेकर अस्पतालों की बराबर निगरानी की जा रही है।