संदीप करिहार- बिलासपुर। योजनाओं के नाम पर करोड़ों रुपए बहाने के बाद भी लोगों के कंठ सूखे हैं। दावा तो जल जीवन मिशन का हर गांव नहीं, हर घर नहीं बल्कि हर व्यक्ति की प्यास बुझाने का है। लेकिन विडंबना तो देखिए बिलासपुर जिले के तखतपुर ब्लाक के ग्राम चोरमा में जल जीवन मिशन के नल तो लगे हैं, लेकिन ये खुद की ही प्यास नहीं बुझा पा रहे हैं। ऐसे में नल की ओर टकटकी लगाए लोगों की उम्मीदें ना सिर्फ योजना से उठ रही हैं, बल्कि सरकार दावों की भी पोल खुल रही है।
छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर में जल जीवन मिशन में लगातार भ्रष्टाचार और उच्च अधिकारियों को गलत रिपोर्टिंग करने के मामले को शासन ने गंभीरता से लिया है। केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी योजना को जमीनी स्तर पर अमलीजामा पहनाने के बजाये अधिकारी, अपने चहेते ठेकेदारों के साथ सांठ गांठ कर कागजों में ही पूरा करने में लगे हुए है। केंद्र सरकार की मॉडल योजना को छत्तीसगढ़ के अधिकारी फ्लॉप प्रोजेक्ट बनाकर रख दिए हैं। इसपर हरिभूमि ने प्रमुख्ता से खबरें प्रकाशित की थीं। इस पर राज्य शासन की ओर से प्रमुख इंजीनियर वीके भतपहरी ने आदेश जारी कर कार्यपालन अभियंता को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। साथ ही उन्हें रायपुर अधीक्षण अभियंता कार्यालय में संलग्न कर दिया है।
ईई हटाए गए, और कई अफसरों पर गिर सकती है गाज
बता दें कि, 500 करोड़ की इस परियोजना में हो रही गड़बड़ी को लेकर हरिभूमि ने प्रमुखता से खबरें प्रकाशित की हैं। वहीँ सरकार ने इस मामले पर कार्यवाही करते हुए ईई यूके राठिया को तत्काल प्रभाव से हटा दिया है। लेकिन अगर इस प्रकरण की जांच हो जाए तो आधा दर्जन से भी अधिक अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो सकते हैं। जिनकी भूमिका भी ठेकेदारों के इर्द-गिर्द मंडराने लगी है और कागजों में ही मिशन के टारगेट को पूरा करने का लक्ष्य नज़र आ रहा है। इस मामले की हकीकत जानने के लिए हमारे बिलासपुर संवाददाता जमीनी पड़ताल की। पड़ताल के नतीजे आपको हैरान कर देंगे।
कहीं टंकी ही गिरी तो कहीं टंकी से मजदूर गिरा
दरअसल, इन निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार के कारण कहीं टंकी गिर रही है तो कहीं सेंट्रिंग ढह जा रही है। कोटा के बिल्लीबंद में टंकी से फिसलकर गिरने से एक मजूदर की मौत भी हो चुकी है। सीपत में टंकी की सेंट्रिंग भरभराकर गिर गई थी। केंद्र सरकार की यह महत्वपूर्ण योजना 15 अगस्त 2019 को शुरू हुई थी। इसे 2024 में पूरा करना है। इसके बाद प्रत्येक घर में 55 लीटर पेयजल की आपूर्ति करनी है। वर्तमान में जो निर्माण की स्थिति दिख रही है, उससे यह नहीं लगता है कि इस साल भी यह कार्य पूरे हो जाएंगे।
भ्रष्टाचार की शिकायतों के बावजूद ठेकेदारों को हो रहा भुगतान
वर्तमान में जिले के सभी चारों ब्लाक में जल जीवन मिशन के तहत निर्माण कार्य चल रहे हैं। भ्रष्टाचार की शिकायत के बाद भी विभाग की ओर से ठेकेदारों को लगातार भुगतान हो रहा है। बिलासपुर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के कार्यपालन अभियंता यूके राठिया पर ठेकेदारों से मिलीभगत कर काम में मनमानी के आरोप लगातार लग रहे थे। साथ ही ठेकेदार भी लापरवाही पूर्वक काम कर रहे थे। सबसे बड़ी बात यह है कि राठिया अपने उच्च अधिकारियों को गलत रिपोर्टिंग कर रहे थे। इसका जिक्र निलंबन आदेश में भी उल्लेख है। इन सभी बातों को गंभीरता से लेते हुए जांच की गई थी। इसके बाद ही आदेश जारी किया गया है।
बारिश का पानी पीना बनी मजबूरी
हमारी टीम जब जल जीवन मिशन की पड़ताल पर बिलासपुर जिले के तखतपुर ब्लाक स्थित ग्राम चोरमा पहुंची तो वहां का नजारा कुछ अलग ही दिखा। यहां एक 70 वर्षीय बुजुर्ग अम्मा सौह्द्रा बाई गोंड तो नल से ज्यादा आसमान पर टकटकी लगाए बैठी थी। ताकि नल से ना तो, कम से कम आसमान से दो बूंद नसीब हो जाए और बारिश के पानी से दो तीन पानी के गुजारे की व्यवस्था हो सके। इस बारिश के पानी को डिब्बे में रखकर छानकर अम्मा जीवन यापन करने को मजबूर है। ये बुजुर्ग अम्मा बताती हैं कि बारिश के पानी से खाना बनाने, पानी पीने और गुजारे का साधन बन चुका है। जो जल जीवन मिशन की पाइप लाइन और कनेक्शन लगाया गया है, वह काम भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुका है और पूरे गांव के लिए फ्लॉप योजना साबित हो रही है।
स्टैंड पोस्ट से अलग दिखा कनेक्शन
ग्राम चोरमा के ही दूसरे मोहल्लों मे जब जाकर पड़ताल किया गया तो रवि शंकर गोंड के घर के बाहर स्टैंड चेक पोस्ट बना हुआ था, लेकिन इस स्टैंड पोस्ट से पाइप लाइन का कनेक्शन अलग नज़र आया और सूखी लकड़ियों का ढेर वहां लगा दिखा। जब रवि से बातचीत कर सवाल किया गया तो ग्रामीण रवि ने बताया कि ये केवल दिखावे के लिए अधिकारियों के द्वारा लगाया गया है। पाइप लाइन से जब पानी मिल ही नहीं रहा है तो लगाकर रखने से क्या ही फायदा। इसलिए कनेक्शन को अलग कर दिया गया है और बारिश के पानी से बचाने लकड़ियों के चेक पोस्ट में रखा गया है।
फ्लाप साबित हुई योजना
चोरमा गाँव के ही ग्रामीण दामोदर कश्यप और श्याम सुन्दर कश्यप ने बताया कि फ्लॉप योजना को अधिकारी हरी झंडी देकर अपने टारगेट को पूरा करने के चक्कर में पूरे गाँव में डुप्लीकेट काम कर रहे हैं। घरों के सामने बाकायदा घटिया मटेरियल से स्टैंड चेक पोस्ट तैयार किया गया है, किन्तु इससे प्यास की एक बूंद भी नहीं बुझ सकी, बल्कि ग्रामीणों की फ्लॉप स्कीम ने आस ही तोड़कर रख दी है। वहीँ ग्रामीण महिला सविता बाई कश्यप कहती हैं कि गाँव में पानी के लिए हाहाकार की स्थिति है, पाइप कनेक्शन करके आधार कार्ड अधिकारी लेकर चले गए हैं। लेकिन पानी जल जीवन मिशन के जरिये अब तक नहीं मिल सका है।
गांव के बाहर बना दी गई टंकी
उनके पति दूसरे गाँव चोरमा से निगारबंद पानी लेने सायकल से जाते हैं। निगारबंद की दूरी चोरमा से करीब 3 किलोमीटर है। यहाँ से बोर का पानी लेकर आते हैं, जिसे पीने और खाना बनाने के लिए इस्तमाल किया जाता है। वहीँ ग्रामीण तालाब के पानी से ही अपना निस्तार करने को मजबूर हैं। ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए अधिकारीयों ने पानी की टंकी भी गाँव से बाहर बनावाई है। आखिर ऐसा क्यों किया गया है, इसका सवाल करने पर कनेक्शन काट देने और योजना का लाभ देने से वंचित कर देने की धमकी भी देते हैं। बहरहाल ग्रामीण पानी की दिन-ब—दिन बढती समस्याओं को देखते हुए इस चुनौती को स्वीकार कर मज़बूरी में जीवन यापन करने को मजबूर हैं।