बिलासपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने आरटीई (निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम) के तहत निजी स्कूलों में आरक्षित सीटों पर गरीबों के बच्चों को मुफ्त एडमिशन दिया गया है। सरकार ने इन बच्चों को अच्छी शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए मेंटर नियुक्त करने का आदेश दिया है। दाखिला लेने वाले गरीब बच्चों की स्थिति की निगरानी के लिए बिलासपुर जिले में कलेक्टर, एसपी सहित 117 अधिकारियों को मेंटर नियुक्त किया है। इनका काम यह देखना है कि, स्कूलों में इन बच्चों के साथ कोई भेदभाव तो नहीं रहा, कहीं ये बच्चे इन स्कूलों में प्रताड़ित तो नही हो रहे। यह भी जानना कि बच्चे स्कूल छोड़ने के लिए मजबूर क्यों हो रहे हैं।
बिलासपुर में एसपी ने किया निरीक्षण
बिलासपुर के पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह को डीपीएस तिफरा स्कूल का मेंटर नियुक्त किया गया है। उन्होंने निरीक्षण के तहत डीपीएस तिफरा स्कूल का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने स्कूल प्रबंधन से चर्चा की और आरटीई के तहत एडमिशन लेने वाले बच्चों से मिलकर उनकी समस्याएं सुनीं। एसपी ने बच्चों को पढ़ाई में ध्यान देने और सामाजिक बुराइयों से दूर रहने की प्रेरणा दी।
50 प्रतिशत बच्चे छोड़ रहे स्कूल
छत्तीसगढ़ में आरटीई के तहत दाखिला लेने वाले 50 प्रतिशत बच्चे स्कूल छोड़ रहे हैं। आरोप है कि निजी स्कूलों में इन बच्चों को प्रताड़ित किया जाता है और यूनिफार्म, किताबों के लिए अलग से पैसे मांगे जाते हैं। इस समस्या के समाधान के लिए राज्य सरकार ने सभी जिलों में मेंटर नियुक्त करने का निर्णय लिया है। हालांकि, अभी तक सिर्फ बिलासपुर जिले में 117 अधिकारियों को मेंटर के रूप में नियुक्त किया गया है।
एसपी ने समान व्यवहार के दिए निर्देश
निरीक्षण के दौरान एसपी रजनेश सिंह ने स्कूल प्रबंधन को निर्देश दिए कि आरटीई के तहत एडमिशन लेने वाले बच्चों के साथ समानता का व्यवहार किया जाए। इन बच्चों को सभी शैक्षणिक गतिविधियों में शामिल कर उनका उत्साहवर्धन किया जाए। साथ हि किसी भी समस्या का तत्काल समाधान करने का आश्वासन भी दिया गया।