बिलासपुर। एफआईआर के आठ महीने बाद भी जांच पूरी नहीं होने के मामले में हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है। मामले में एक आरोपी द्वारा दायर याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों की फोटो रोज छप रही है, लेकिन जो काम करना है वह नहीं कर रहे हैं। मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने डीजीपी को कनेक्ट कर ऑनलाइन उपस्थिति का निर्देश जारी किया था, लेकिन एडिशनल एजी के अनुरोध पर इसे वापस ले लिया गया। कोर्ट ने पुलिस विभाग में पेंडेंसी को लेकर भी नाराजगी जताई और इसी तरह के एक अन्य प्रकरण के साथ इस मामले को मर्ज करने व दोनों मामलों की एक साथ दो दिसंबर को सुनवाई करने का निर्देश दिया है।
मामला सक्ती जिले के डभरा थाने का है। थाने में 25 अप्रैल 2024 को प्रकरण एक मामला दर्ज किया गया था। याचिकाकर्ता आरोपी के खिलाफ पुलिस ने धारा 120 बी, 408, 420 के तहत एफआईआर दर्ज की है। एफआईआर को चेलेंज करते हुए एक आरोपी ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में याचिका पेश की है। इसी मामले में आरोपी अपना पक्ष रखने कोर्ट में उपस्थित हुआ। डिवीजन बेंच को जानकारी देते हुए बताया कि पुलिस ने 25 अप्रैल 2024 को एफआईआर दर्ज किया है। इसमें क्या हुआ, पुलिस ने आजतक जानकारी नहीं दी है।
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मामलों की जांच सालों ही चलती है
याचिकाकर्ता व आरोपी की जवाब को सुनने के बाद चीफ जस्टिस ने हैरानी जताई। राज्य शासन की ओर से पक्ष रखने मौजूद अतिरिक्त महाधिवक्ता से चीफ जस्टिस ने पूछा कि प्रदेश में यह क्या हो रहा है। हर मामले में कुछ इसी तरह की स्थिति सामने आ रही है। एसपी से लेकर जांच अधिकारी को को किसी से कोई मतलब ही नहीं है। साल-दर-साल मामलों की जांच ही चल रही है। मीडिया में अफसरों की फोटो छप रही है। वे अपना काम ठीक से नहीं कर रहे हैं। पीड़ित और आरोपी दोनों कोर्ट के सामने उपस्थित होकर अपनी परेशानी बयान कर रहे हैं। सभी कोर्ट में कमोबेश कुछ इसी तरह की स्थिति है।