रायपुर। छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने राजा देवेंद्र प्रताप सिंह को अपना राज्यसभा उम्मीदवार बनाया है। इनके अलावा बीजेपी ने 14 राज्यसभा सीटों के लिए भी प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। छत्तीसगढ़ से राज्यसभा सांसद सरोज पांडेय का कार्यकाल इसी वर्ष अप्रैल में खत्म होने वाला है। चुनाव आयोग ने राज्यसभा चुनाव की तारीख का ऐलान कर दिया है। छत्तीसगढ़ के साथ ही 15 राज्यों के लिए चुनाव 27 फरवरी को होगा। इसके लिए सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक मतदान होगा जिसके लिए नामांकन की आखिरी तिथि 15 फरवरी तय की गयी है।
राजा देवेंद्र प्रताप सिंह और दिलीप सिंह जूदेव के सबंध वर्तमान सीएम विष्णु देव साय से भी काफी घनिष्ठ बताये जाते हैं। उन्हें कई बार सीएम श्री और डिप्टी सीएम अरुण साव के साथ कई मंचो पर देखा गया है। उन्होंने रायगढ़ जिले में बीजेपी कई राजनीतिक अभियानों में इनके साथ काम किया है। पिछले लोकसभा चुनाव में देवेंद्र प्रताप सिंह को लोकसभा का टिकट दिए जाने की चर्चा चल रही थी लेकिन किसी फिर नहीं दी गई। टिकट के लिए वे स्वयं दावेदारी भी कर रहे थे। पिछले विधानसभा में उन्होंने लैलूंगा से टिकट भी मांगा था लेकिन उन्हें नहीं दिया गया। राजा देवेंद्र प्रताप इसके बाद भी बीजेपी के लिए काम करते रहे. वहीं उनके आचरण की बात करें तो उनकी किसी भी प्रकार की कोई विवादित छवि नहीं है और नया चेहरा होने की वजह से भाजपा ने इन्हें राज्यसभा में उन्हें भारतीय जनता पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है।
शिक्षा व्यापार और सामाजिक जीवन
राजा देवेंद्र प्रताप सिंह गौंड राजा की विरासत को अभी संभाल रहे हैं। राजा देवेंद्र प्रताप सिंह ने एमए तक की पढ़ाई की है। उन्होंने इतिहास से स्नातकोत्तर तक की उपाधि ली है। राजा देवेंद्र प्रताप सिंह के पिता राज्य सुरेंद्र प्रताप सिंह भी राज्यसभा के सदस्य रहे हैं। राजा देवेंद्र प्रताप कांग्रेस में भी थे, लेकिन दो दशक पहले वो भाजपा में शामिल हो गये और उनकी पत्नी रानी भवानी देवी सिंह है। उन्होंने 10वी और 12वीं रायपुर के राजकुमार कालेज से की, उसके बाद उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफन कालेज से पढ़ाई की। वो राजनीति के साथ-साथ व्यापार से भी जुड़े हैं। वो अभी भारत पेट्रोलियम रायगढ़ के रिटेल आउटलेट के डीलर हैं, साथ ही कृषि सामिग्री का भी डिलरशिप उनके पास है। अनुसूचित जनजाति से ताल्लुक रखने वाले देवेंद्र प्रताप सिंह राजनीति में भी काफी सक्रिय रहे हैं। 2005-06 में वो अनुसूचित जनजाति मोर्चा के प्रदेश मंत्री रह चुके हैं।
पिता भी थे राज्यसभा सदस्य
वहीं 2008 में वो भाजपा प्रदेश विशेष आमंत्रित सदस्य बने। 2011-12 में अनुसूचित जनजाति मोर्चा रायगढ़ के जिलाध्यक्ष रहे। 2011 में अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य रहे। वो लैलूंगा के जिला पंचायत सदस्य भी रह चुके हैं। साथ ही रेलवे हिंदी सलाहकार समिति (रेलवे मंत्रालय) के सदस्य भी रह चुके हैं। मौजूदा वक्त में वो देवेंद्र प्रताप सिंह वर्ष 2003 से आरएसएस से जुड़े और उसके बाद भाजपा में सक्रिय राजनीति शुरू की l श्री सिंह वर्तमान में लैलूंगा क्षेत्र से जिला पंचायत सदस्य है लिए उनके पिता सुरेंद्र प्रताप सिंह भी राज्यसभा सदस्य रह चुके है
राज परिवार से हैं देवेंद्र प्रताप
रायगढ़ जिले के रहने वाले राजा देवेंद्र प्रताप का ताल्लुक राज परिवार से है। रायगढ़ जिले में राजा चक्रधर की याद में चक्रधर समारोह प्रदेश में आयोजित किया जाता है ये उन्हीं के परपोते हैं। देवेंद्र प्रताप सिंह वर्तमान में लैलूंगा की जिला पंचायत के सदस्य हैं। साथ ही वे लैलूंगा विधानसभा क्षेत्र में राजनीतिक रूप से भी काफी सक्रिय हैं इसके पहले वे रायगढ़ जिले के संघ चालक रह चुके हैं। साथ ही रेलवे समिति के सदस्य रह चुके हैं। वहीं संगठन सूत्रों की माने तो उनका कहना है कि, राज्यसभा में देवेंद्र प्रताप सिंह को उम्मीदवार बनाए जाने के पीछे संघ का हाथ है क्योंकि राजा देवेंद्र प्रताप संघ के पसंदीदा हैं और संघ के कई नेताओं से उनकी करीबी भी है। इसके अलावा लैलूंगा के ग्रामीण क्षेत्रों में सक्रिय ढंग से आदिवासियों के बीच संघ के कार्यक्रमों पर काम करते रहे हैं।
परिवार का रहा कांग्रेस से ताल्लुक
सन 1990 तक लैलूंगा विधानसभा की सीट कांग्रेस की परंपरागत सीट मानी जाती थी। राजा देवेंद्र प्रताप सिंह के पिता स्वर्गीय सुरेंद्र कुमार सिंह ने बतौर विधायक दो दशक से भी अधिक समय तक लैलूंगा विधानसभा में कब्जा जमाए रखा। राजा सुरेंद्र सिंह कांग्रेस का प्रतिनिधित्व करते थे। शुरुआती दिनों में देवेंद्र का झुकाव भी कांग्रेस की ओर रहा मगर बाद में वो भाजपा में शामिल हो गए थे और संघ से भी जुड़े रहे।
कौन थे महाराजा चक्रधर सिंह
रायगढ रियासत ब्रिटिशराज के समय भारत की एक रियासत (प्रिंसली स्टेट) था। ये राजवंश गोंड राजाओं की तरफ से शासित थी। रायगढ़ रियासत की स्थापना 1625 में हुई थी, लेकिन उन्हें अंग्रेजों ने रियासत के रूप में मान्यता 1991 में मिली। भारत सरकार में शामिल होने वाला सबसे पहला रियासत रायगढ़ रियासत ही था। उस समय के रायगढ़ रियासत के राजा ललित सिंह थे। राजा ललित सिंह की दानशीलता काफी चर्चित रही। वो महाराजा चक्रधर सिंह के पुत्र थे।महाराजा चक्रधर सिंह संगीत और कला में बहुत काम किये। जिसके कारण रायगढ़ रियासत को पहचान मिली। रायगढ़ में आज भी चक्रधर समारोह पूरे 10 दिन हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
नन्हें राजा के नाम से विख्यात थे चक्रधर सिंह
गोंड राजा चक्रधर सिंह पोर्ते का जन्म 19 अगस्त, 1905 को रायगढ़ रियासत में हुआ था। नन्हें महाराज के नाम से सुपरिचित, आपको संगीत विरासत में मिला। उन दिनों रायगढ़ रियासत में देश के प्रख्यात संगीतज्ञों का नियमित आना-जाना होता था । पारखी संगीतज्ञों के सान्निध्य में शास्त्रीय संगीत के प्रति आपकी अभिरुचि जागी । राजकुमार कॉलेज, रायपुर में अध्ययन के दौरान आपके बड़े भाई के देहावसान के बाद रायगढ़ रियासत का भार अचानक से उनके कंधों पर आ गया। 1924 में राज्याभिषेक के बाद अपनी परोपकारी नीति एवं मृदुभाषिता से रायगढ़ रियासत में शीघ्र अत्यन्त लोकप्रिय हो गए। कला-पारखी के साथ विभिन्न भाषाओं में भी आपकी अच्छी पकड़ थी। कत्थक के लिए आपको खास तौर पर जाना गया और आपने रायगढ़ कत्थक घराना की नींव रखी।