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रायपुर। आंबेडकर अस्पताल के हार्ट सर्जरी विभाग में कोरोनरी बाईपास की शुरुआत हो गई है। चार साल बाद यहां फिर से बाईपास सर्जरी की गई। ऑपरेशन करके दुर्ग में रहने वाले 72 साल के मरीज को हार्ट से संबंधित परेशानी से राहत दिलाई गई। ब्लाकेज की वजह से उसका हार्ट केवल 40% ही काम कर रहा था। सरकारी सेवा से रिटायर हुए इस कर्मचारी को सरकारी अस्पताल पर पूरा विश्वास था। निजी अस्पताल में इलाज कराने के स्थान पर उसने  बाईपास सर्जरी  शुरू होने की संभावना पर पूरे डेढ़ माह इंतजार किया। ऑपरेशन करने वाले हार्ट सर्जन एवं विभागाध्यक्ष डॉ. कृष्णकांत साहू ने बताया, दुर्ग जिले के रहने वाले इस 72 वर्षीय मरीज को डेढ़ महीने पहले छाती में तेज दर्द हुआ था। इसके कारण उन्हें स्थानीय हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था।

ईसीजी देखकर हार्ट अटैक का पता चल गया था। एंजियोग्राफी से स्पष्ट हुआ कि हृदय की मुख्य नस में 65 प्रतिशत तथा अन्य तीनों नसों में 90 से 95 प्रतिशत ब्लॉकेज था।  ब्लॉकेज इतना ज्यादा था कि वहां के डॉक्टरों ने एंजियोप्लास्टी करने से मना कर दिया एवं वहां से कोरोनरी बाईपास सर्जरी के लिए बड़े संस्थान में रेफर कर दिया। इस मरीज के रिश्तेदार एवं स्वयं मरीज ने आंबेडकर अस्पताल के हार्ट सर्जरी विभाग की कई सफल सर्जरी के बारे में काफी सुना था, इसलिए उन्होंने अन्य संस्थान न जाकर प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में अपना ऑपरेशन कराने का फैसला लिया।

यह है बाईपास

ओपन हार्ट सर्जरी के लिए छाती को खोलकर हार्ट लंग मशीन की सहायता से हार्ट और फेफड़ों के कार्य को बंद किया जाता है। फिर हृदय के चेंबर को खोलकर या तो वॉल्व बदला जाता है या फिर रिपेयर किया जाता है या फिर दो चेंबर के बीच छेद को बंद किया जाता है। बाईपास सर्जरी में छाती को खोला जाता है परंतु हार्ट के चेंबर को नहीं खोला जाता। यह तब किया जाता है जब हार्ट के मांसपेशियों को सप्लाई करने वाली नस में ब्लॉकेज होता है। इस ऑपरेशन में छाती के अंदर से हाथ से रेडियल आर्टरी एवं पैरों से सैफेनस वेन को ब्लॉकेज वाले हिस्से में जोड़ दिया जाता है। विभागाध्यक्ष के नेतृत्व में कार्डियक एनेस्थेटिस्ट, परफ्यूशनिस्ट, नर्सिंग स्टाफ, टेक्नीशियन, आईसीयू स्टाफ के साथ मिलकर इसे पूरा किया गया।

संभावना पर उठाया जोखिम 

मरीज एवं उसके रिश्तेदार एंजियोग्राफी की सीडी लेकर विभागाध्यक्ष से मिलने पहुंचे थे। परिजनों को बताया गया कि कुछ दिनों बाद यहां पर बाईपास सर्जरी की सुविधा प्रारंभ होने की संभावना है। इसके लिए अस्पताल प्रबंधन एवं विभाग के उच्च अधिकारी सतत सक्रिय हैं। इस बीमारी में बाइपास शीघ्र करना अत्यंत आवश्यक है। सुविधा शुरू होने की आस में मरीज और उनके परिजनों ने इंतजार करने का जोखिम उठाना मंजूर किया। यह ऑपरेशन सामान्य कोरोनरी बाईपास सर्जरी से ज्यादा क्रिटिकल इसलिए था, मरीज के हार्ट की तीनों नसों के ब्लॉकेज के साथ-साथ मुख्य नस में भी ब्लॉकेज था। हार्ट मात्र 40 प्रतिशत ही कार्य कर रहा था एवं मरीज को क्रॉनिक किडनी डिजीज थी। बीमारी के कारण मरीज का क्रिएटिनिन लेवल 1.5 एमजी था। कई बार ऐसे मरीजों को अचानक किडनी फेल हो जाने के चांस बढ़ जाते हैं और डायलिसिस की नौबत आ जाती है।