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छत्तीसगढ़ में सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर महिलाएं तेजी से आत्मनिर्भर बन रही हैं। इन्हीं में से एक हैं बलौदाबाजार विकासखंड के ग्राम लाहोद निवासी निरूपा साहू। निरूपा अब  'ड्रोन वाली दीदी' के नाम से जानी जाती हैं। 

कुश अग्रवाल-बलौदाबाजार। छत्तीसगढ़ में महिलाएं अब घर की चारदीवारों के बीच चूल्हा- चौका के काम तक सीमित नहीं रहीं। वे नित नए आधुनिक काम सीखकर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होने का सतत प्रयास कर रही हैं। इन्ही में से एक हैं बलौदाबाजार विकासखंड के ग्राम लाहोद निवासी निरूपा साहू। निरूपा अब गांव में 'ड्रोन वाली दीदी' के नाम से जानी जाती हैं। 

निरूपा साहू बताती हैं कि, उनका मूल घर ग्राम करदा है, लेकिन अब हम लोग लाहोद में ही निवासरत हैं। मेरे पति नकुल प्रसाद साहू लवन जिला सहकारी सोसायटी में ऑपरेटर के रूप में काम करते हैं। हमारे दो लड़के हैं। दोनो लड़के अभी कक्षा चौथी और कक्षा दूसरी में पढ़ाई कर रहे हैं। मैं भी 12 वीं कक्षा तक पढ़ी हूं। बचपन से ही मुझे बाहर जाकर कुछ काम करने का मन था, ताकि मैं अपने पति के साथ कंधे से कंधा मिलाकर उनकी सहयोगी बन सकूं। घर के खर्चों में अपना योगदान कर पाऊं। 

निरुपा ने ग्वालियर में ली 15 दिन की ट्रेनिंग

मैं बिहान कार्यक्रम के अंतर्गत वैभव लक्ष्मी स्व सहायता समूह से जुड़ी हुई हूं। एक दिन कृषि विभाग के अधिकारियों ने ड्रोन चलाने वाले काम के बारे में बताया। मैंने इस काम में भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए तत्काल हामी भरी। उसके बाद इफको कंपनी की सहायता से 'नमो ड्रोन दीदी' की ट्रेनिंग लेने ग्वालियर इंस्टिट्यूट में गई थी। जहां मुझे 15 दिन की ट्रेनिंग दी गई। ट्रेनिग के बाद आरपीसी लाइसेंस मिला है। वापस गांव आकर मैं 'ड्रोन दीदी' के रूप में काम कर रही हूं। 

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दवा छिड़काव के बाद लहलहाते धान के खेत

80 एकड़ में छिड़काव कर 25 हजार कमा चुकीं निरुपा

निरूपा आगे बताती हैं कि, अप्रैल महीने में मुझे यह ड्रोन मिला है और तब से वह ड्रोन के माध्यम से किसानों के खेत में दवा छिड़काव करने का काम कर रही हैं। दवा छिड़कने का 300 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से चार्ज लेती हैं। अब तक गांव के लगभग 80 एकड़ खेत में ड्रोन से दवा छिड़काव कर चुकी हैं। जिससे मुझे 25 हजार रुपये की आमदनी हुई है।

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ड्रोन से छिड़काव किसानों के लिए लाभकारी

ड्रोन से ना केवल निरूपा साहू को फायदा हुआ है, बल्कि किसानों को भी इसका सीधा लाभ मिला है। किसान परमेश्वर वर्मा कहते हैं कि पहले दवाई छिड़काव स्पेयर से किया जाता था, जिससे बहुत टाइम और खर्च अधिक लगता था। लेकिन ड्रोन के माध्यम से महज कुछ मिनटों में ही यह कार्य पूर्ण हो जाता हैं और दवाइयों का बेहतर रूप से छिड़काव हो जाता है।

केंद्र सरकार की योजना का मिल रहा लाभ

गौरतलब है कि, केंद्र सरकार ने 'नमो ड्रोन दीदी' योजना की शुरुआत की गई है। इस योजना के तहत आने वाले। चार वर्षों में 15 हजार स्वयं सहायता समूहों को ड्रोन उपलब्ध कराया जाएगा और कृषि क्षेत्र में उर्वरकों का छिड़काव, फसलों में खाद डालना, फसल वृद्धि की निगरानी करना, बीज बोना आदि के लिए ड्रोन चलाने के लिए महिलाओं को प्रशिक्षित किया जाएगा। ताकि नई प्रौद्योगिकी क्षेत्र में कौशल प्रदान कर महिलाओं के लिए आजीविका के नए अवसर पैदा किया जा सके।

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